नई दिल्ली से पत्रकार ऊषा माहना की कलम से।

पानीपत: वर्ष 2015 में दर्ज महेंद्र चावला मामले में आशाराम बापू को बड़ी राहत मिली है। बीते 5 फरवरी 2025 को जिला सत्र न्यायालय अंबर दीप सिंह की अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि इस मामले में आशाराम बापू बापू के खिलाफ संज्ञान लेने की कोई आवश्यकता नहीं है। हालांकि, पूरक रिपोर्ट में शामिल अन्य आरोपियों राजेंद्र सिंह और हनुमान उर्फ कौशल ठाकुर के विरुद्ध मामला बनता है या नहीं, इस पर मजिस्ट्रेट कोर्ट को फैसला लेना होगा। यह मामला लंबे समय से न्यायालय में विचाराधीन था, जिसमें महेंद्र चावला ने आरोप लगाया था कि आसाराम बापू जी और उनके पुत्र नारायण साईं ने उनके खिलाफ साजिश रची थी। लेकिन अदालत ने पुलिस जांच और प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों के आधार पर यह स्पष्ट कर दिया कि आसाराम बापू के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं। इस फैसले से उनके अनुयायियों के बीच खुशी की लहर दौड़ गई है। महेंद्र चावला, जो बापू आसाराम जी और उनके पुत्र नारायण साईं के खिलाफ दर्ज मामलों में गवाह हैं, ने 2015 में पानीपत सदर पुलिस थाना में हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज करवाया था। उन्होंने दावा किया था कि वह लंबे समय तक आश्रम से जुड़े रहे और नारायण साईं के निजी सहायक (पीए) के रूप में भी कार्यरत थे।
उनका आरोप था कि 2013 में बापू आसाराम जी के खिलाफ दर्ज मामलों में उन्होंने गवाही दी थी, जिससे नाराज होकर उन पर हमला करवाया गया। उनका कहना था कि यह हमला बापू आसाराम और नारायण साईं की साजिश का हिस्सा था। हालांकि, पुलिस जांच और न्यायालय में प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों के आधार पर अदालत ने पाया कि इस मामले में बापू आसाराम जी के खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य नहीं है और उनके विरुद्ध मुकदमा चलाने की जरूरत नहीं है।
बचाव पक्ष की ओर से वकील धर्मेंद्र मिश्रा ने अदालत में जोरदार तर्क प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि जब एक बार मजिस्ट्रेट ने अपराध का संज्ञान ले लिया था, तो उसी अपराध के लिए दोबारा संज्ञान नहीं लिया जा सकता। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कानून के अनुसार, अदालत अपराध का संज्ञान लेती है, किसी विशेष व्यक्ति का नहीं।
बचाव पक्ष ने बताया कि 09.07.2020 को मजिस्ट्रेट द्वारा दिए गए आदेश के अनुसार, इस मामले में पहले ही संज्ञान लिया जा चुका है। इसलिए, आशाराम बापू के खिलाफ अलग से संज्ञान लेने की जरूरत नहीं है। इसके अलावा, अदालत ने यह भी कहा कि पुलिस की जांच में बापू आसाराम जी के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिले। कोर्ट ने राज्य अपराध शाखा, रोहतक द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट को भी ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया कि इस मामले में आसाराम बापू को आरोपी नहीं बनाया जा सकता। जांच अधिकारी ने जोधपुर जेल में जाकर आसाराम बापू का बयान दर्ज किया था, लेकिन पुलिस को कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला, जिससे यह साबित हो सके कि उन्होंने महेंद्र चावला पर हमले की साजिश रची थी।
महेंद्र चावला ने इस जांच से असंतोष जताते हुए किसी अन्य एजेंसी से जांच की मांग की थी, लेकिन अदालत ने पुलिस की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया।
बचाव पक्ष के वकील ने इस फैसले को न्याय की जीत बताया। उन्होंने कहा कि यह मामला पूरी तरह से झूठा और दुर्भावनापूर्ण था। उनका कहना था कि महेंद्र चावला ने जान बूझकर झूठे आरोप लगाए थे, लेकिन अदालत के फैसले से साफ हो गया कि उनके आरोपों में कोई सच्चाई नहीं थी। हालांकि, पूरक रिपोर्ट में शामिल अन्य आरोपियों राजेंद्र सिंह और हनुमान उर्फ कौशल ठाकुर के खिलाफ जांच जारी रहेगी और मजिस्ट्रेट कोर्ट इस पर आगे की कार्यवाही करेगी।
आसाराम बापू की मौजूदा स्थिति : आसाराम जी वर्तमान में जोधपुर और अहमदाबाद के मामलों में सजा काट रहे हैं, जबकि उनके पुत्र नारायण साईं सूरत जेल में बंद हैं।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने बापू आसाराम जी को 31 मार्च 2025 तक अंतरिम जमानत दी है, जिससे वह अपना इलाज करवा सकें।