सुव्यवस्थित आर्थिक योजना के बजाय चुनाव-अनुकूल दस्तावेज प्रतीत होता है बजट: कुमारी सैलजा

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह बजट एक सुव्यवस्थित आर्थिक योजना के बजाय चुनाव-अनुकूल दस्तावेज प्रतीत होता है। इसमें साहसिक सुधारों का अभाव है, बेरोजगारी और मुद्रास्फीति जैसे मुख्य मुद्दों को संबोधित करने में विफल रहता है, और मध्यम वर्ग और किसानों को वास्तविक राहत प्रदान नहीं करता है। यह ठोस क्रियान्वयन योजनाओं के बिना वादों का बजट है। गैर भाजपा सरकार वाले राज्यों की उपेक्षा की गई है, बजट जनविरोधी है तथा विभिन्न क्षेत्रों को न्याय प्रदान करने में विफल रहा है।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा है कि बजट पक्षपातपूर्ण है, जिसमें एनडीए शासित राज्यों का पक्ष लिया गया है। सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम आवंटन में कथित तौर पर कमी की गई है। मध्यम वर्ग के लिए कोई सार्थक राहत नहीं। कर स्लैब में बदलाव की उम्मीद थी, वेतनभोगी कर्मचारियों और छोटे व्यवसाय मालिकों पर वित्तीय बोझ को कम करने के लिए कोई पर्याप्त लाभ प्रदान नहीं किया गया है। यह खपत और आर्थिक सुधार को बढ़ावा देने का एक खोया हुआ अवसर है। बजट में बढ़ती बेरोजगारी से निपटने के लिए कोई स्पष्ट रोडमैप नहीं दिया गया है। बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन कार्यक्रम की अनुपस्थिति जमीनी हकीकत से अलगाव को दर्शाती है। किसानों की परेशानी को दूर करने के लिए कोई वास्तविक प्रयास नहीं किया गया है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और कृषि ऋण माफी जैसे मुद्दों को नजरअंदाज कर दिया गया है। किसान अपनी आय में सुधार के लिए निर्णायक हस्तक्षेप की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन इसके बजाय उन्हें अस्पष्ट वादों का एक और दौर मिला।
कुमारी सैलजा ने कहा है कि स्वास्थ्य, शिक्षा और ग्रामीण रोजगार गारंटी योजनाओं (जैसे मनरेगा) के लिए आवंटन में मुद्रास्फीति और मांग में वृद्धि के बावजूद उल्लेखनीय वृद्धि नहीं देखी गई है। एमएसएमई क्षेत्र, जो एक प्रमुख रोजगार प्रदाता है, को ऋण गारंटी से परे पर्याप्त समर्थन नहीं मिला है। आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतें एक बड़ी चिंता बनी हुई हैं, फिर भी बजट मुद्रास्फीति को रोकने के लिए एक मजबूत नीतिगत प्रतिक्रिया प्रदान नहीं करता है। सरकार की ओर से पहले कहा गया कि हर जिला में मेडिकल कॉलेज खोला जाएगा क्या सरकार बताएगी कि क्या हर जिला में मेडिकल कालेज खुला, जहां पर घोषणाएं हुई क्या वहां मेडिकल कालेज चालू हुए या नहीं। ऐसे ही सरकार ने देश में 500 शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने की घोषणा की थी क्या स्मार्ट सिटी बने, जिन शहरों के लिए बजट जारी हुआ था क्या वे स्मार्ट सिटी बने या वहां पर स्मार्ट सिटी वाली सुविधाएं है। सरकार को घोषणा करने के बाद धरातल पर जाकर उन्हें देखना भी चाहिए। केंद्र सरकार उद्योगपितयों के अरबों रुपये के कर्जे तो माफ कर देती है पर किसानों, मजदूरों के कर्ज माफ करने से गुरेज करती है। पहले लोगों में बजट को लेकर उत्साह देखने को मिलता था क्योंकि जनता को प्रतीक्षा रहती थी कि सरकार क्या क्या सस्ता कर रही है पर आज एक ही डर रहता है कि सरकार क्या क्या महंगा कर रही है।