भाजपा-जजपा का समझौता जनहित में नहीं बल्कि मलाई खाने के लिए : बजरंग गर्ग
जुमला साबित हुआ 75 प्रतिशत आरक्षण व 5100 रुपये पेंशन देने का वादा
Nov 18, 2023, 19:03 IST

हिसार, 18 नवंबर हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल के अध्यक्ष व हरियाणा कॉन्फैड के पूर्व चेयरमैन बजरंग गर्ग ने भाजपा-जजपा गठबंधन पर तंज कसा है। उन्होंने कहा कि इन दोनों पार्टियों का समझौता जनहित के लिए नहीं बल्कि मलाई खाने के लिए हुआ है।
बजरंग गर्ग ने शनिवार को कहा कि भाजपा-जजपा सरकार द्वारा प्राइवेट सेक्टर में 75 प्रतिशत युवाओं को आरक्षण देना भी केवल एक जुमला सिद्ध हुआ। न केवल यह आरक्षण बल्कि 5100 रुपये पैंशन देने का दावा भी छलावा सिद्ध हुआ। वास्तव में इस सरकार ने बेरोजगारों को रोजगार देने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए बल्कि रोजगार छीनने का काम किया है। उन्होंने कहा कि भाजपा-जजपा सरकार द्वारा प्राइवेट सेक्टर में 75 प्रतिशत युवाओं को आरक्षण देने का नियम बनाना सिर्फ एक जुमला साबित हुआ और इस सरकार ने इस वादे की आड़ में युवाओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है।
सरकार ने इस कानून को प्रभावशाली ढंग से नहीं बनाया और ना ही सरकार ने अच्छे ढंग से पैरवी की जिसके कारण पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा इस कानून को खारिज कर दिया गया। उन्होंने कहा कि सरकार को यह कानून बनाने से पहले हरियाणा के उद्योगपतियों से बातचीत करके उनकी सहमति से कानून बनना चाहिए था ताकि सरकार व उद्योगपतियों में किसी प्रकार का आपसी टकराव ना रहे, मगर सरकार झूठी घोषणा व वायदे करने में लगी हुई है।
बजरंग गर्ग ने शनिवार को कहा कि भाजपा-जजपा सरकार द्वारा प्राइवेट सेक्टर में 75 प्रतिशत युवाओं को आरक्षण देना भी केवल एक जुमला सिद्ध हुआ। न केवल यह आरक्षण बल्कि 5100 रुपये पैंशन देने का दावा भी छलावा सिद्ध हुआ। वास्तव में इस सरकार ने बेरोजगारों को रोजगार देने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए बल्कि रोजगार छीनने का काम किया है। उन्होंने कहा कि भाजपा-जजपा सरकार द्वारा प्राइवेट सेक्टर में 75 प्रतिशत युवाओं को आरक्षण देने का नियम बनाना सिर्फ एक जुमला साबित हुआ और इस सरकार ने इस वादे की आड़ में युवाओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है।
सरकार ने इस कानून को प्रभावशाली ढंग से नहीं बनाया और ना ही सरकार ने अच्छे ढंग से पैरवी की जिसके कारण पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा इस कानून को खारिज कर दिया गया। उन्होंने कहा कि सरकार को यह कानून बनाने से पहले हरियाणा के उद्योगपतियों से बातचीत करके उनकी सहमति से कानून बनना चाहिए था ताकि सरकार व उद्योगपतियों में किसी प्रकार का आपसी टकराव ना रहे, मगर सरकार झूठी घोषणा व वायदे करने में लगी हुई है।