दीपेंद्र की खाली की हुई राज्यसभा सीट पर अपने परिवार से उतारें उम्मीदवार भूपेंद्र सिंह हुड्डा - दिग्विजय चौटाला
दिग्विजय ने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में दीपेन्द्र हुड्डा को जनता द्वारा नकारने पर भूपेन्द्र हुड्डा ने उनको 2020 में पिछले दरवाजे से संसद में भेजा था। उन्होंने याद दिलाया कि राज्यसभा में 2014 में कुमारी सैलजा के जाने पर भूपेंद्र हुड्डा ने इसे बारात के घोड़ों का सदन बताया था, और अपने बेटे की लोकसभा चुनाव जीत पर उसे जंग का घोड़ा बताया था। लेकिन 6 साल बाद परिस्थितियां ऐसी बनी कि उन्हें कुमारी सैलजा का कार्यकाल खत्म होने पर उसी राज्यसभा में अपने बेटे दीपेंद्र हुड्डा को भेजना पड़ा। दिग्विजय चौटाला ने कहा कि पिछले दरवाजे से राजनीति करने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है। दिग्विजय ने कहा कि जब भी अवसर मिलेगा, वे पार्टी के निर्देश पर जनता के समक्ष जाएंगे और जनता ही फैसला करेगी कि मुझे किस समय क्या जिम्मेदारी देनी है। जेजेपी प्रधान महासचिव दिग्विजय ने कहा कि फिलहाल संगठन को फिर से खड़ा करना मेरी प्राथमिकता है।
दिग्विजय ने कहा कि दूसरों का हक छीनकर अपने तक सीमित रखने वाले भूपेन्द्र हुड्डा का प्रस्ताव भी मुझे संदिग्ध नज़र आता है। दिग्विजय ने कहा कि राज्यसभा चुनावों में भूपेन्द्र हुड्डा का खेल किसी से छिपा नहीं है। वे एक बार बीजेपी से सैटिंग कर अपने बेटे को बिना मतदान राज्यसभा भेज चुके हैं और दो बार कांग्रेस हाइकमान के भेजे उम्मीदवार को राज्यसभा में हरवा चुके हैं। इस बार फिर भूपेन्द्र हुड्डा ने यह सीट बीजेपी को गिफ्ट करने की योजना बना ली है और पूरा खेल धीरे धीरे जनता के सामने आ रहा है। उन्होंने कहा कि अगर किसी शिक्षा, खेल जगत तथा किसी सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार या फिर किसी बड़े किसान नेता को राज्यसभा की टिकट देते है तो जेजेपी समर्थन को तैयार है।