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जागरूकता के अभाव में बढ़ रही अस्थमा से देश में मौतें: डा. हर्षिल अलवानी

 
  जागरूकता के अभाव में बढ़ रही अस्थमा से देश में मौतें: डा. हर्षिल अलवानी
सिरसा। भारत में पूरी दुनिया के 13 फीसदी अस्थमा रोगी हैं, लेकिन चिंता का विषय यह है कि देश जागरूकता के अभाव में अस्थमा रोगियों की मौतों के मामले में सबसे आगे है। वैश्विक स्तर पर अस्थमा से होने वाली 46 फीसदी मौतें भारत में हो रही हैं। अस्थमा फेफड़ों में होने वाली गंभीर बीमारी है, जिसका खतरा लगभग सभी उम्र के लोगों में देखा जा रहा है। यह जानकारी सीके बिरला हॉस्पीटल जयपुर के प्रसिद्ध श्वास एवं अस्थमा रोग विशेषज्ञ डा. हर्षिल अलवानी ने शुक्रवार को एक निजी होटल में पत्रकारों से बातचीत करते हुए दी। उनके साथ मार्केटिंग हैड सचिन सिंह, सीके बिरला अस्पताल जयपुर के वाइस प्रेजीडेंट अनुभव सुखवानी, अस्पताल के डिप्टी मैनेजर संजीव कुमार जाजोरिया व लायंस क्लब सिरसा के चेयरमैन राजेश नरूला भी मौजूद थे। उन्होंने बताया कि अस्थमा के रोगियों को वायुमार्ग के आसपास सूजन और मांसपेशियों की जकडऩ के दिक्कत होने लगती है, जिसके कारण उनके लिए सांस लेना कठिन हो जाता है। डा. अलवानी ने बताया कि वातावरण की कई परिस्थितियां अस्थमा रोगियों के लिए समस्याओं को बढ़ाने वाली मानी जाती है। उन्होंने बताया कि अस्थमा से पीडि़त अधिकांश लोगों को लक्षण-रहित अवधियों के बीच दौरे पड़ते हैं। कुछ लोगों को लंबे समय तक सांस फूलने की समस्या रहती है, जिसके बाद सांस फूलने की समस्या बढ़ती जाती है। घरघराहट या खांसी इसका मुख्य लक्षण हो सकता है। अस्थमा होने पर श्वास नलियों में सूजन आ जाती है, जिस कारण श्वसन मार्ग सिकुड़ जाता है। श्वसन नली में सिकुडऩ के चलते रोगी को सांस लेने में परेशानी, सांस लेते समय आवाज आना, सीने में जकडऩ, खांसी आदि समस्‍याएं होने लगती हैं। अस्‍थमा का उपचार तभी संभव है जब आप समय रहते इसे समझ लें। अस्‍थमा के लक्षणों को जानकर इसके तुरंत निदान के लिए डॉक्‍टर के पाए जाएं। अस्‍थमा के उपचार के लिए इसकी दवाएं बहुत कारगर हो सकती हैं। अस्‍थमा से निपटने के लिए आमतौर पर इन्‍हेल्‍ड स्‍टेरॉयड (नाक) के माध्‍यम से दी जाने वाली दवा और अन्‍य एंटी इंफ्लामेटरी दवाएं अस्‍थमा के लिए जरूरी मानी जाती हैं। इसके अलावा ब्रोंकॉडायलेटर्स वायुमार्ग के चारों तरफ  कसी हुई मांसपेशियों को आराम देकर अस्थमा से राहत दिलाते हैं। अस्‍थमा इन्‍हेलर का भी इलाज के तौर पर प्रयोग किया जाता है। इसके माध्‍यम से फेफड़ों में दवाईयां पहुंचाने का काम किया जाता है। अस्‍थमा नेब्‍यूलाइजर का भी प्रयोग उपचार में किया जाता है।