अनुराग ढांडा ने प्रदूषण को लेकर खट्टर सरकार पर साधा निशाना

उपाध्यक्ष अनुराग ढांडा ने बुधवार को चंडीगढ़ स्थित पार्टी के प्रदेश क
ार्यालय से प्रेस वार्ता की। उनके साथ पंचकूला जिला अध्यक्ष रंजीत उप्पल
और प्रदेश संयुक्त सचिव पुरुषोत्तम सरपंच भी मौजूद रहे।अनुराग ढांडा ने क
हा कि हरियाणा सरकार प्रदूषण की समस्या पर आंख मूंदे हुए है। हरियाणा
के अंदर सरकार की नाकामी सरेआम नजर आ रही है। उन्होंने कहा कि ये
प्रत्येक गांव और खेत में पराली के प्रबंधन से स्पष्ट हो रहा कि हरियाणा
सरकार पूर्णत फेल साबित हुई है। वहीं किसान पराली प्रबंधन के मामले में
दोषी नहीं, बल्कि पीडि़त है, वहीं सरकार ने 600 किसानों पर लाखों रुपए
जुर्माना लगाने का काम किया। उन्होंने मुख्यमंत्री खट्टर से सवाल पूछते हुए
कहा कि वे बताएं कि पिछले वर्ष ग्रीन जोन के गांव इस बार येलो जोन में
कैसे आए? उन्होंने कहा कि आंकड़ों से पता चलता है कि ऐसे गांव जो
पिछले वर्ष ग्रीन जोन में थे, उनमें पराली जलाने के केस मिले हैं। उन्होंने आ
ंकड़े प्रस्तुत करते हुए कहा कि कैथल जिले के गांव चौशाला, सांच, दुसेरपुर
और खेड़ी शेरू समेत 11 ऐसे गांव हैं जो पिछले वर्ष ग्रीन जोन में थे, वहीं
इस वर्ष इनमें किसानों ने पराली जलाई है। वहीं उन्होंने सिरसा का उदहारण
देते हुए कहा कि यहां के गांव मलारी, दादू, दादरी, देशू मलकाना समेत क
ुल मिलाकर 15 ऐसे गांव थे जो ग्रीन जोन में थे। वहीं उन्होंने जिला फ
तेहाबाद के गांव का जिक्र करते हुए कहा कि यहां के गांव हमजापुर,
तेलीवाडा, बिसला और खजूरी समेत 13 गांव ऐसे हैं, जो ग्रीन जोन में थे,
लेकिन इस बार पराली जलाने की घटनाएं हुई हैं। कुल मिलाकर लगभग हर
जिले में पराली जलाने की सैंकड़ों घटनाएं दर्ज की गई हैं। उन्होंने कहा कि
खट्टर सरकार की अनदेखी की वजह से किसान पराली जलाने को मजबूर है
ं। उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से किसानों को न तो कोई मशीनरी
और न ही कोई संसाधन मुहैया करवाया गया। इस वजह से ग्रीन जोन के
किसान भी पराली जलाने को मजबूर हैं। पिछले वर्ष सोसाइटी बनाकर 80
फीसदी एससी किसानों को पराली निस्तारण यंत्र की सब्सिडी दी गई थी,
लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं किया गया। इस बार किसानों ने सोसाइटी
बनाकर सब्सिडी के लिए अप्लाई तो किया, लेकिन कोई भी सब्सिडी नहीं
दी गई। इससे भी बड़ी बात इस बार कृषि बजट में सब्सिडी देने का कोई
प्रावधान ही नहीं किया गया था। उन्होंने कहा कि खट्टर सरकार की प्रदूषण
को रोकने में आखिरी नाकामी प्रदेश में ग्रीन कवर में बढ़ोतरी नहीं होना है।
उन्होंने कहा कि हरियाणा में देश का सबसे कम साढ़े 3 प्रतिशत ग्रीन कवर
है, जबकि दिल्ली में ग्रीन कवर 23 फीसदी है। उन्होंने कहा हर साल खट्टर
सरकार घोषणा करती है कि 20 लाख पेड़ लगाए जायेंगे, 40 लाख पेड़
लगाए जायेंगे। जोकि सिर्फ कागजों में सिमट कर रह गई है।