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महिलाओं में सैलजा के नाम हरियाणा से सबसे अधिक बार चुनाव जीतने का रिकॉर्ड

58 साल के हरियाणा में 14 बार हुए लोकसभा चुनाव, सिर्फ छह महिलाएं ही पहुंची संसद 
 
 महिलाओं में सैलजा के नाम हरियाणा से सबसे अधिक बार चुनाव जीतने का रिकॉर्ड
 चंडीगढ़/सिरसा, 07 जून।  हरियाणा में पितृसत्तात्मक मानसिकता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब राज्य में महिलाएं पंचायतों के लिए चुनी जाती थीं, तब भी परिवार के पुरुष शायद ही कभी उन्हें अपनी शक्तियों का प्रयोग करने की अनुमति देते थे। शिक्षित महिलाओं ने अपने हकों की खातिर संघर्ष किया और हासिल भी किए। यही वजह है कि आज हर उच्च पद पर महिला आसीन दिखाई देती है।  प्रदेश में नारी सशक्तीकरण के दावों के बीच लोकसभा चुनावों का इतिहास कुछ और दास्तां कहता है। देश की सबसे बड़ी पंचायत कही जाने वाली संसद में महिलाओं को भेजने के लिए न तो सियासी दलों ने कोई खास तवज्जो दी और न ही मतदाताओं ने दरियादिली दिखाई।  जो महिलाएं संसद में  पहुंची वह भी पारिवारिक सियासी रसूख और राष्ट्रीय दलों के टिकट के बल पर। कोई भी  निर्दलीय महिला आज तक हरियाणा से संसद का मुंह नहीं देख पाई। इन सब को दरकिनार रखते हुए कुमारी सैलजा ने पांचवी बार संसद में पहुंचकर हरियाणा में एक नया रिकार्ड बनाया। इसके साथ ही वे दो बार राज्यसभा की सदस्य रही। पुरूषों में पांच बार सांसद बनने का रिकार्ड राव इंद्रजीत सिंह के नाम है, कहा जा सकता है कि सैलजा ने इस मामले में पुरूषों के बराबर में खड़े होने का सम्मान हासिल किया है।

प्रदेश से पहली महिला सांसद बनने का गौरव जनता पार्टी की चंद्रावती के नाम है जिन्होंने वर्ष 1977 में आपातकाल के हीरो स्व. चौधरी बंसीलाल को हराया था।  करनाल, रोहतक, हिसार, फरीदाबाद, गुरूग्राम और सोनीपत ने आज तक एक बार भी किसी महिला को संसद में नहीं भेजा है। सबसे ज्यादा पांच बार कांग्रेस की कुमारी सैलजा संसद पहुंचीं। वह दो बार अंबाला और तीन बार सिरसा आरक्षित सीट पर चुनी गईं। इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के टिकट पर कैलाशो सैनी दो बार कुरुक्षेत्र से जीतीं तो पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की पौत्री श्रुति चौधरी भिवानी-महेंद्रगढ़ और भाजपा की सुधा यादव महेंद्रगढ़ से एक-एक बार लोकसभा पहुंचने में सफल रहीं।  भाजपा की सुनीता दुग्गल सिरसा से 2019 में चुनी गई।  1951 में पहले आम चुनाव के दौरान भी संयुक्त पंजाब में करनाल, रोहतक और हिसार सीटें मौजूद थीं, जबकि फरीदाबाद, गुरुग्राम और सोनीपत की सीटें 1977 में अस्तित्व में आईं। वर्ष 1999 में प्रदेश ने पहली बार दो महिला सांसदों महेंद्रगढ़ से भाजपा की सुधा यादव और कुरुक्षेत्र से इनेलो की कैलाशो सैनी को लोकसभा में भेजा। महिलाओं के लिए वर्ष 2014 सबसे निराशाजनक रहा जब एक भी महिला प्रदेश से संसद नहीं पहुंच पाई। अंबाला से इनेलो की कुसुम शेरवाल, भिवानी-महेंद्रगढ़ से कांग्रेस की श्रुति चौधरी और कुरुक्षेत्र से आम आदमी पार्टी की बलविंदर कौर को हार का मुंह देखना पड़ा। कुछ राजनीतिक लोग  मानते हैै कि महिलाओं के जीतने की संभावना काफी कम होती है, ऐसे में  राजनीतिक दल उनपर दांव खेलने से परहेज करते हैं। इसी सोच के चलते  सियासी गलियारों में महिला सशक्तीकरण एक दूर का सपना है। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के नारे को अगर साकार करना है तो  हरियाणा में जरूरत राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की है।  

बंसीलाल को हराकर चंद्रावती बनीं पहली महिला सांसद
चंद्रावती हरियाणा की पहली महिला सांसद के साथ विधायक भी हैं। चरखी दादरी की रहने वाली चंद्रावती ने 1977 में भिवानी लोकसभा क्षेत्र से राजनीति के दिग्गज चौधरी बंसीलाल को हराकर सबको चौंका दिया था। दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई करने वाली चंद्रावती छह बार विधायक और एक बार सांसद रहीं। उन्होंने 1964 से 1966 तक पंजाब सरकार में और 1972 से 1974 तक हरियाणा सरकार में मंत्री के रूप में भी कार्य किया। 1990 में 11 महीने के लिए वह पुंडुचेरी की उप राज्यपाल भी रहीं। जब वीपी सिंह की सरकार गिरी तो चंद्रावती ने उप राज्यपाल के पद से इस्तीफा नहीं दिया। इस पर नई सरकार ने उन्हें बर्खास्त कर दिया था। 92 वर्ष की आयु में चंद्रावती का नवंबर 2020 में कोविड की वजह से निधन हो गया।

सैलजा के नाम हरियाणा से सबसे अधिक बार चुनाव जीतने का रिकॉर्ड
कुमारी सैलजा कांग्रेस का जाना-पहचाना दलित चेहरा हैं। वह सिरसा से चार बार सांसद रहे अपने पिता चौधरी दलबीर सिंह की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रही हैं। सैलजा 1991, 1996 और 2024 में सिरसा और 2004 व 2009 में अंबाला लोकसभा क्षेत्र से सांसद रही हैं। वे 2014 से 2020 तक राज्यसभा सदस्य भी रह चुकी हैं। पंजाब विश्वविद्यालय से पढ़ी कुमारी सैलजा ने 1990 में महिला कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी। वह केंद्र सरकार में तीन बार मंत्री रह चुकी हैं। नरसिम्हा राव सरकार में उप शिक्षा मंत्री और मनमोहन सरकार में आवास एवं गरीबी उन्मूलन, सामाजिक अधिकारिता और पर्यटन मंत्री रही हैं। लंबे  सियासी सफर में उन्होंने इस बार पहली बार विधानसभा चुनाव लडऩे की इच्छा जताई है।
 सुनीता दुग्गल के नाम सबसे ज्यादा वोटों से जीत का रिकॉर्ड
भाजपा के टिकट पर साल 2019 में सिरसा सुरक्षित सीट से चुनी गई सुनीता दुग्गल हरियाणा की छठी सांसद हैं। अब तक प्रदेश में किसी महिला का सबसे ज्यादा वोटों से लोकसभा चुनाव जीतने का रिकॉर्ड सुनीता दुग्गल के नाम है। उन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी रहे अशोक तंवर को 3,09,918 वोटों से हराया था।   2014 से पहले सुनीता दुग्गल आईआरएस अधिकारी थीं। भाजपा में शामिल होने के बाद उन्होंने वीआरएस ले लिया था। 2014 में उन्होंने रतिया विधानसभा से चुनाव लड़ा, मगर उन्हें हार का सामना करना पड़ा। सुनीता के पति राजेश दुग्गल आईपीएस अधिकारी हैं। उनके भाई सुमित कुमार एचसीएस अफसर हैं।

बंसीलाल की विरासत को आगे बढ़ा रहीं श्रुति
बंसीलाल परिवार की तीसरी पीढ़ी की नेता श्रुति चौधरी 2009 में भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर सांसद चुनी गईं। उनकी मां किरण चौधरी कांग्रेस की वरिष्ठ नेता हैं और नेता प्रतिपक्ष रह चुकी हैं। पिता सुरेंद्र सिंह की मौत के बाद श्रुति ने राजनीति में कदम रखा था। 2014 और 2019 में भी उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन उनकी करारी हार हुई थी। साल 2024 के लोकसभा चुनाव में भी श्रुति को भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से कांग्रेस के टिकट का प्रबल दावेदार माना जा रहा था पर टिकट नहीं मिली।  वह हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं।

 राजयसभा में हरियाणा से आज तक केवल चार महिलाएं चुनी गई
राजनीति में दिल्ली तक जाने का एक सफल रास्ता है राज्यसभा का। अगर कोई लोकसभा का चुनाव नहीं जीत पाता था तो उसे राज्यसभा के लिए चुनकर भेजा जाता था।  सुषमा स्वराज  1990-1996  विद्या बेनीवाल  1990-1996, सुमित्रा महाजन (2002-2008) और कुमारी सैलजा (2014-2020) में राज्यसभा की सदस्य रही।

 सियासी पिच पर इन महिलाओं ने दिग्गजों को चटाई थी धूल
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वर्ष         सीट                               विजेता                पार्टी                       प्रतिद्वंद्वी
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1977     भिवानी                          चंद्रावती                बीएलडी                    बंसीलाल
1991     सिरसा                           कुमारी सैलजा          कांग्रेस                      हेतराम
1996     सिरसा                           कुमारी सैलजा          कांग्रेस                     सुशील कुमार
1998     कुरुक्षेत्र                         कैलाशो सैनी             इनेलो                     कुलदीप शर्मा
1998     भिवानी-महेंद्रगढ़                 सुधा यादव            भाजपा                      राव इंद्रजीत सिंह
1999     कुरुक्षेत्र                         कैलाशो सैनी            इनेलो                     ओमप्रकाश जिंदल
2004    अंबाला                          कुमारी सैलजा           कांग्रेस                     रतनलाल कटारिया
2009    भिवानी-महेंद्रगढ़                श्रुति चौधरी              कांग्रेस                     अजय सिंह चौटाला
2009    अंबाला                         कुमारी सैलजा            कांग्रेस                     रतनलाल कटारिया
2019    सिरसा                          सुनीता दुग्गल            भाजपा                     अशोक तंवर
2024    सिरसा      कुमारी सैलजा   कांगे्रस                            अशोक तंवर