समिति से जुड़े सभी संगठनों को लाया जाएगा एक मंच पर: डा. आहूजा
सिरसा, 11 सितंबर। हरियाणा के गुरुग्राम में अखिल भारतीय पंचनद स्मारक समिति एक बार फिर डा. श्रीराम आहूजा की अध्यक्षता में गठित की गई है। अखिल भारतीय पंचनद समीति करीब 10 साल के बाद एक बार फिर अस्तित्व में आई है और डा. श्रीराम आहूजा की अध्यक्षता में अपनी कार्यकारणी का समिति ने गठन किया है।
दरअसल, साल 2007 में भी डा. श्रीराम आहूजा ने पूर्व सांसद अश्विनी चोपड़ा के साथ मिलकर अखिल भारतीय पंचनद समिति का गठन किया था और समिति ने 1947 के भारत पाकिस्तान विभाजन के दौरान भारत के इस क्षेत्र में आए उन हिन्दू परिवारों के लिए कार्य करना आरम्भ किया, जिसकी सराहना खासतौर पर पंजाबी मूल के समुदाय ने की और देश के हर पंजाबी ने पंचनद स्मारक समीति को आगे बढ़ाने का भी काम किया। लेकिन साल 2011 में पंचनद स्मारक ट्रस्ट बनने के चलते पंचनद स्मारक समीति अपने अस्तित्व में कहीं पिछे छूट गई। जिसके चलते ना तो 11 सालों में पंचनद स्मारक बन पाया और ना ही विभाजन के दौरान आए उन परिवारों के लिए ही कुछ किया जा सका।
अब एक बार फिर 80 साल के पड़ाव पर डा. श्रीराम आहूजा ने समिति का पुन:गठन किया है और 1947 के विभाजन के दौरान उन परिवारों को जमीन दिलवाने का सकंल्प लिया है, जिन्हें अभी तक सरकार की तरफ से जमीन नहीं दी गई है। और साथ ही उन 1947 के विभाजन के दौरान शहीद हुए उन 20 लाख लोगों के लिए 100 एकड़ जमीन पर स्मारक को अगले 2 साल में पूरा करने का सकंल्प भी लिया गया है।
दरअसल साल 2006 में अखिल भारतीय पंचनद स्मारक समिति का गठन हरियाणा के कुरुक्षेत्र में 100 एकड़ जमीन पर उन शहीदों की याद में बनाने के लिए हुआ था, जिन्होंने 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के दौरान मुस्लिम धर्म को नहीं अपनाया और पाकिस्तान में ना रह कर भारत आना पसन्द किया। जिसके चलते उन्हें अपनी जान गंवानी पड़ी। 1947 में विभाजन की खबर के बाद पश्चिमी पाकिस्तान (आज का पाकिस्तान) से करीब 2 करोड़ हिन्दू प्रभावित हुए और करीब 20 लाख हिन्दु नरसंहार का शिकार हुए।
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 14 अगस्त को विभाजन विभिषिका घोषित की। 15 अगस्त 2021 को देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रतिवर्ष 14 अगस्त को विभाजन विभिषिका को समर्पित किया है, ताकि देश सदा ये याद रखे कि 14 अगस्त 1947 को जहां देश आजादी की खबर से झूम रहा था, वहीं दूसरी और आजादी की सबसे बड़ी कीमत पश्चिमी पंजाब के हिन्दू अपने खून से अदा कर रहे थे। 1947 विभाजन के दौरान हिन्दूओं का यह अबतक का सबसे बड़ा कत्लेआम माना जाता है और मानव इतिहास में बीते दो दशकों में सबसे बछ़ा मानव पलायन। डा. श्रीराम आहूजा ने सभी बिन्दुओं पर विस्तार से बताते हुए कहा कि एक बार फिर पंचनद स्मारक समीति अपने अस्तित्व में आ गई है और हम इसके सभी पहलूओं पर तेजी से काम करेंगे। डा. श्रीराम आहूजा ने बताया कि समिति में उपाध्यक्ष के पद पर सुरेश मनचन्दा, महासचिव के पद पर एडवोकेट प्रेम चौधरी, संगठन सचिव के पद पर एम आर लारोइया, वित्त सचिव के पद पर प्रेम आहूजा को नियुक्त किया गया है। डा. श्रीराम आहूजा ने बताया कि अगले 15 दिनों में देश भर में समिति अपनी इकाइयों को सक्रिय करेगी और अपने बिन्दुओं पर युद्धस्तर पर कार्य करेगी।
अखिल भारतीय पंचनद समिति में नया क्या है:
हरियाणा के उन परिवारों को जो 1947 विभाजन के दौरान पश्चिमी पाकिस्तान से हरियाणा के कैम्प में रहे और उन्हें जमीनें अलॉट नहीं की गई। हरियाणा में करीब 92000 एकड़ जमीन इन परिवारों को अलॉट होनी है और पूरे भारत की बात करें तो करीब 5 लाख एकड़ से ज्यादा की जमीन है। समिति देश में चल रही विभिन्न पंजाबियों, अरोड़ा-खत्री, मैहता, मुल्तानी की सभाओं, महासभाओं, को साथ जोडऩे और एकसाथ एक छत के नीचे लाने का काम करेगी। समिति अगले 2 साल में 100 एकड़ जमीन पर पंचनद स्मारक बनाने पर काम करेगी। पहले समिति केवल हरियाणा तक सीमित थी, लेकिन अब पूरे देश भर में काम करेगी, जिसके लिए जल्द जिला स्तर और तहसील स्तर पर इकाईयों का गठन किया जाएगा। समिति अपना झंडा जारी करेगी, जिसे देश में हर पंजाबी के घर-घर पहुंचाने और उसे साथ जोडऩे का काम किया जाएगा। समिति मेरे पूरखों की मिट्टी नाम से एक कैम्पेन चलाएगी। समिति जल्द ही अपने पुरखों की जोत को पुन:जला कर सभी पंजाबियों के दर्शनों के लिए उपस्थित करेगी।