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सरसों व गेहूं खरीद, उठान व भुगतान के सभी दावे हुए फेल, किसान परेशान : बजरंग गर्ग

 अनाज मंडियां सरसों से भरी, ट्रालियोें की लगी लंबी लाइनें, औने पौने दाम में बेचनी पड़ रही फसल
 
  सरसों व गेहूं खरीद, उठान व भुगतान के सभी दावे हुए फेल, किसान परेशान : बजरंग गर्ग
हिसार, 13 अप्रैल  हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल के अध्यक्ष व हरियाणा कॉन्फैड के पूर्व चेयरमैन बजरंग गर्ग ने कहा है कि सरकार के सरसों व गेहूं खरीद और भुगतान के सभी दावे फेल सिद्ध हुए हैं। अनाज मंडियां सरसों से भरी हुई है और सरसों खरीद का उठान व भुगतान नहीं हो रहा है। वे शनिवार को स्थानीय अनाज मंडी में गेहूं खरीद का जायजा लेने के उपरांत अनाज मंडी में व्यापारियों को से बातचीत कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि समय पर सरसों व गेहूं की खरीद व उठान ना होने से मंडियों के बाहर अनाज की भरी हुई ट्रालियों की लंबी लाइनें लगी हुई है, जिस कारण किसान, आढ़ती व मजदूरों को भारी दिक्कतें आ रही है। उन्होंने कहा कि सरसों की सरकारी खरीद ना होने के कारण किसान मजबूरी में अपनी सरसों 4600 से 5000 रुपए प्रति क्विंटल तक बेच रहा है, जबकि सरसों का एमएसपी 5650 रुपए प्रति क्विंटल है। इसी प्रकार सरकारी खरीद एजेंसियां गेहूं खरीद में जानबूझकर लेट कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार की गलत नीतियों के कारण प्रदेश में आढ़ती, किसान व मजदूर बेहद दुखी है। भाजपा राज में आढ़तियों को आढ़त नहीं मिलती है व किसानों को फसल के पूरे दाम नहीं मिलते हैं। इसलिए आढ़ती व किसान बर्बादी के कगार पर है।
बजरंग गर्ग ने कहा कि आढ़तियों को अनेक वर्षों से 2.5 प्रतिशत आढ़त मिलती थी मगर इस सरकार ने सरसों, सूरजमुखी, नरमा, बाजरा, मूंग आदि सरकारी खरीद पर आढ़तियों की आढ़त खत्म कर दी है। सरकार का गेहूं खरीद पर 10.99 रुपए व धान पर 9.19 पैसे आढ़त काम करना व्यापारी विरोधी फैसला है। इस फैसले से हरियाणा के व्यापारियों में सरकार के प्रति भारी नाराजगी है। उन्होंने कहा कि सरकारी अधिकारी व अनाज उठान के ठेकेदारों की लापरवाही के कारण अनाज उठान में देरी हो रही है। सरकार को अनाज खरीद, उठान व समय पर भुगतान के सभी दावे खोखले सिद्ध हुए हैं।
यहां तक कि सरकार की तरफ से मंडियों में सरसों व गेहूं खरीद के लिए कोई मूलभूत सुविधा तक नहीं है। मंडियों में सफाई व पानी तक की व्यवस्था नहीं है। मंडियों में सरकारी अधिकारियों की लापरवाही के कारण खरीद व उठान में देरी होने पर मंडियां अनाज से भरी हुई है। सरकार को सरसों व गेहूं खरीद, उठान व भुगतान 72 घंटे के अंदर-अंदर करना चाहिए।