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वाह वाह गोबिंद सिंह, आपे गुरू चेला...

दशमेश गुरू गोबिंद सिंह प्रकाशोत्सव पर उत्साह व खुशी का माहौल
 
वाह वाह गोबिंद सिंह, आपे गुरू चेला... 
पंज प्यारों की अगुवाई में नगर कीर्तन निकाला 
सिरसा, 4 जनवरी। खालसा पंथ के प्रवत्र्तक दशमेश गुरू गोबिंद सिंह जी के पावन प्रकाशोत्सव को लेकर सिख संगतों में जहां जोश-खरोश और श्रद्धा का सागर हिलोरें ले रहा है वहीं अन्य सभी धर्मों के लोग भी प्रकाश पर्व को बड़ी आस्था के साथ मना रहे हैं। गुरू गोबिंद सिंह के प्रकाश पर्व के अवसर पर आज गुरूद्वारा दशम पातशाही सूरतगढिय़ा बाजार से भव्य नगर कीर्तन का आयोजन किया गया। पंज प्यारों की अगुवाई में निकले नगर कीर्तन के दौरान सुखमणी साहब का पाठ किया गया और कीर्तन दरबार सजाया गया। 
गुरूद्वारा दशम पातशाही में भोग श्री अखंड पाठ के साथ ही कीर्तन दरबार के दौरान पाठी भाइयों ने बताया कि गुरू गोबिंद सिंह ने धर्म की रक्षा के लिए युद्ध व लंबा संघर्ष किया। उनके चार साहिबजादे भी धर्म की रक्षा के लिए शहीद हो गए और स्वयं गुरू गोबिंद सिंह ने बलिदान दे दिया। गुरु गोबिन्द सिंह सिक्खो के दसवें धार्मिक गुरु थे। उन्होंने कहा कि वे एक गुरु ही नहीं बल्कि एक महान दार्शनिक, प्रख्यात कवि, निडर एवं निर्भीक योद्धा, अनुभवी लेखक और संगीत के पारखी भी थे। वे अपने पिता गुरु तेग बहादुर के उत्तराधिकारी बने। महज 9 वर्ष की आयु में सिखों के नेतृत्वकर्ता बने एवं अंतिम सिख गुरु बने रहे।
गुरु गोबिंद सिंह जी ने न सिर्फ अपने महान उपदेशों के माध्यम से लोगों को सही दिशा दिखाई, बल्कि उन्होंने समाज में हो रहे अत्याचारों और अपराधों के खिलाफ भी विरोध किया एवं खालसा पंथ की स्थापना की, जो को सिख धर्म के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटना के तौर पर अंकित है। गुरु गोबिंद सिंह जी ने लोगों को आपस में प्रेम और भाईचारे के साथ मिलजुल कर रहने का संदेश दिया। 
कीर्तन के दौरान गुरू ग्रंथ साहिब की हजूरी में भजन प्रवचनों का भी गायन किया गया। नगर कीर्तन के दौरान सिख युवाओं व बच्चों ने गतके के शानदार करतब दिखाकर लोगों को चकित किया। साथ ही अन्य करतब प्रस्तुत किए। रास्तेभर में सिख संगत नंगे पांव गुरू गं्रथ साहिब की पालकी के आगे सफाई करते हुए पानी का छिडक़ाव करते हुए चल रही थी। पूरे रास्ते संगत को कड़ाह प्रसाद वितरित किया गया। 
रात्रि दरबार में बच्चों की गुरबाणी, कविताएं व दीपमाला का कार्यक्रम हुआ। इस दौरान गुरूद्वारा साहिब को बेहद भव्य ढंग से सजाया गया था। आतिशबाजी करते हुए युवाओं में भरपूर जोश व उमंग का माहौल देखा गया। गुरूपर्व के उपलक्ष्य में गुरूद्वारा दशम पातशाही में लंगर भंडारे का आयोजन अटूट वितरित किया जाएगा।