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राजनीति का अखाड़ा बन गया है श्री ब्राह्मण सभा प्रधान का पद

 
सिरसा, 18 नवंबर। सिरसा की श्री ब्राह्मण सभा के प्रधान पद का चुनाव राजनीति का अखाड़ा बन गया है। यह राजनीति कोई राजनीतिक दल नहीं कर रहा है बल्कि खुद सभा के सदस्य ही कर रहे हैं। कभी किसी को प्रधान चुन लेते हैं, कभी किसी को। कुल मिलाकर सभा के कुछ तथाकथित स्वयंभु नेता सदस्यों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
आरपी शर्मा को फिर प्रधान बनाने की घोषणा
श्री ब्राह्मण सभा (रजि.) में प्रधान पद को लेकर चल रही उठापटक के बीच तदर्थ समिति ने सर्वसम्मति से एक बार फिर से आरपी शर्मा को ही आगामी दो सालों के लिए प्रधान पद पर बने रहने का अधिकार दिया है। इसके साथ-साथ नई कार्यकारिणी के गठन का अधिकार भी आरपी शर्मा को दिया गया है। तदर्थ समिति के अध्यक्ष राकेश वत्स ने बताया कि चुनावी प्रक्रिया में काफी समय लग सकता है। इसलिए आरपी शर्मा अपनी कार्यकारिणी के साथ नियमों को ध्यान में रखते हुए सभा के कार्यों के साथ-साथ चुनावी प्रक्रिया के कार्य को भी पूर्ण करें, ताकि भविष्य में दो वर्ष पूर्ण होने पर ठीक से चुनावी प्रक्रिया का पालन हो सके। उन्होंने यह नहीं बताया कि आरपी शर्मा को दोबारा से प्रधान चुनने में कितने सदस्यों की सहमति है। बता दें कि प्रधान चुनने के लिए चुनाव करवाने का ऐलान हुआ था। सदस्यों से आवेदन भी मांगे गए थे। सुशील शर्मा ने मीडिया के सामने आरोप लगाया था कि चुनाव समिति के अधिकांश सदस्यों ने उन्हें प्रधान चुनने की सहमति दी थी, लेकिन कुछ सदस्यों ने आरके भारद्वाज को प्रधान घोषित कर दिया था। अब आरके भारद्वाज को बिन पूछे ही आरपी शर्मा को फिर से प्रधान घोषित कर दिया। इसलिए लग रहा है कि प्रधान का पद पूरी तरह से राजनीति का अखाड़ा बन गया है।
मर्यादा की सारी सीमाएं लांघ रहे हैं राकेश वत्स:भारद्वाज
आरपी शर्मा को पुन: दो वर्ष के लिए प्रधान बनाने के नादिर शाही ऐलान को चुनोती देते हुए श्री ब्राह्मण सभा के नवनिर्वाचित प्रधान  आरके भारद्वाज ने कहा कि राकेश वत्स को श्री ब्राह्मण सभा की गत सौ वर्षों की मर्यादाओं के अनुसार समाज के प्रधान पद के दावेदारों में सहमति स्थापित करने का प्रयास करने या बहुमत के आधार पर प्रधान चुनने की निष्पक्ष प्रक्रिया अपनाने के लिए एडहॉक कमेटी का सदस्य बनाया था। क्योंकि श्री ब्राह्मण सभा के संविधान के अनुसार तीन वर्षों के पश्चात प्रधान पद के चुनाव करवाए जाने जरूरी हैं,परंतु आरपी शर्मा ने गत 8 वर्षों से न तो कोई आम सभा बुलाई और ना ही सभा के चुनाव करवाएं। इसलिए उनके विरुद्ध पहले आक्रोश से मजबूर होकर श्री आरपी शर्मा द्वारा 30 सितंबर को त्यागपत्र की पेशकश के साथ कार्यकारिणी भंग कर दी गई थी और नए प्रधान के निर्वाचन हेतु एडहॉक कमेटी का गठन किया गया था जिसके सात सदस्य थे। तत्पश्चात एक सहमति की कमेटी का भी निर्माण किया गया । परन्तु प्रधान पद के 20 दावेदारों में सहमति बनाने का प्रयास किया नहीं किया गया। इससे रुष्ट होकर सौलह प्रधान पद के दावेदारों तथा दस में से पांच सहमति कमेटी के दावेदारों ने बहुमत से आरके भारद्वाज को प्रधान चुन लिया। ऐसी अवस्था में आरपी शर्मा द्वारा बनाये गए एडहॉक कमेटी के दो-तीन सदस्यों द्वारा आरपी शर्मा को ही पुन: प्रधान बनाना ,न केवल ब्राह्मण सभा के संविधान का मजाक है अपितु पूरे ब्राह्मण समाज का भी मजाक बनाया गया है।