शोध के क्षेत्र में रूपरेखा की महत्वपूर्ण भूमिका: प्रो. यादव
Thu, 5 Jan 2023

रोहतक, 5 जनवरी। बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आरएस यादव ने पीएच.डी कोर्स वर्क की परीक्षा पास कर चुके शोधार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि शोध कार्य में रूपरेखा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। रूपरेखा शोध को आधार देने का कार्य करती है। अगर हम शोध का सही विषय चयन करके रूपरेखा बनाते हैं तो निकट भविष्य में शोध संबंधी समस्याओं का निराकरण आसानी से करा सकते हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि कि शोध हमारे ज्ञान के विस्तार में सहायता करता है। मानव समाज की समस्याओं के हल का रास्ता ही शोध है। शोध से तार्किक और समीक्षात्मक अनुशीलन की दृष्टि मिलती है। शोध के बिना ज्ञान और विकास में वृद्धि संभव नहीं। यदि शिक्षा व शोध के क्षेत्र में श्रेष्ठ बनना है तो हमें अपने शोध की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देना होगा।
वर्तमान युग तकनीक का युग है। शोध की कसौटी परखने के लिए अब से पहले न तो कोई सॉफ्टवेयर था और न ही इतनी ज्यादा छानबीन की जाती थी लेकिन अब कोई शोधार्थी अपने शोध कार्य को नकल की सहायता से पूर्ण करता है तो साहित्य चोरी सॉफ्टवेयर के माध्यम से वह तुरंत पकड़ में आ जाता है। अत: इस बात पर शोधार्थी विशेष ध्यान दें।
बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय की प्रति कुलाधिपति डॉ. अंजना राव ने बताया कि शिक्षा व शोध के क्षेत्र में अगर हमें श्रेष्ठ बनना है तो शोध की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देना होगा क्योंकि शोध मनुष्य के ज्ञान को नई दिशा करता है जिससे उसका बौद्धिक विकास होता है। इसी संदर्भ में अधिष्ठाता शैक्षणिक, प्रो. नवीन कुमार ने कहा कि शोध अनवरत रूप से चलने वाली प्रक्रिया है इसमें शोधार्थी पूर्व ज्ञान को आधार मानकर कार्यक्षेत्र का चयन करके आगे बढ़ता है। जो नए परिवर्तन के साथ समाज के लिए उपयोगी साबित हो, वह शोधकार्य की श्रेणी में गिना जाता है।
उन्होंने यह भी बताया कि कि शोध हमारे ज्ञान के विस्तार में सहायता करता है। मानव समाज की समस्याओं के हल का रास्ता ही शोध है। शोध से तार्किक और समीक्षात्मक अनुशीलन की दृष्टि मिलती है। शोध के बिना ज्ञान और विकास में वृद्धि संभव नहीं। यदि शिक्षा व शोध के क्षेत्र में श्रेष्ठ बनना है तो हमें अपने शोध की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देना होगा।
वर्तमान युग तकनीक का युग है। शोध की कसौटी परखने के लिए अब से पहले न तो कोई सॉफ्टवेयर था और न ही इतनी ज्यादा छानबीन की जाती थी लेकिन अब कोई शोधार्थी अपने शोध कार्य को नकल की सहायता से पूर्ण करता है तो साहित्य चोरी सॉफ्टवेयर के माध्यम से वह तुरंत पकड़ में आ जाता है। अत: इस बात पर शोधार्थी विशेष ध्यान दें।
बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय की प्रति कुलाधिपति डॉ. अंजना राव ने बताया कि शिक्षा व शोध के क्षेत्र में अगर हमें श्रेष्ठ बनना है तो शोध की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देना होगा क्योंकि शोध मनुष्य के ज्ञान को नई दिशा करता है जिससे उसका बौद्धिक विकास होता है। इसी संदर्भ में अधिष्ठाता शैक्षणिक, प्रो. नवीन कुमार ने कहा कि शोध अनवरत रूप से चलने वाली प्रक्रिया है इसमें शोधार्थी पूर्व ज्ञान को आधार मानकर कार्यक्षेत्र का चयन करके आगे बढ़ता है। जो नए परिवर्तन के साथ समाज के लिए उपयोगी साबित हो, वह शोधकार्य की श्रेणी में गिना जाता है।