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रुहानियत और इंसानियत से ही बन सकता है पूर्ण इंसान: सुदीक्षा महाराज

75वें वार्षिक निरंकारी संत समागम का भव्य शुभारंभ
 
रुहानियत और इंसानियत से ही बन सकता है पूर्ण इंसान: सुदीक्षा महाराज
सोनीपत, 17 नवंबर। ‘रुहानियत और इंसानियत से ही हम पूर्ण इन्सान बन सकते हैं। ये उद्गार निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज ने 75वें वार्षिक निरंकारी संत समागम का विधिवत शुभारंभ करते हुए मानवता के नाम संदेश में व्यक्त किए। चार दिवसीय समागम निरंकारी आध्यात्मिक स्थल समालखा में आयोजित किया गया है, जिसमें देश एवं दूर देशों से समाज के विभिन्न स्तरों के श्रद्धालु भक्त एवं प्रभु प्रेमी सज्जन लाखों की संख्या में सम्मलित हुए हैं। सत्गुरु माता ने अपने संदेश में कहा कि लगभग दो वर्ष के पश्चात आज यहां देश विदेश से भक्तजन, संतजन एकत्रित हुए हैं। क्योंकि कोविड महामारी के दौरान इन्सान का इन्सान से मिलना-जुलना सम्भव नहीं हो पा रहा था। संत हर समय मानवता की सेवा के लिए तत्पर रहते हैं और इसी का प्रमाण कोविड के दौरान रक्तदान शिविर, निरंकारी भवनों का कोविड केयर केन्द्रों में परिवर्तित करना, कोविड टीकाकरण के लिए विशेष शिविर तथा जरूरतमंदों की सहायता करते हुए संतजनों ने दिया है। सतगुरु माता ने कहा कि कोविड महामारी के अलावा युद्ध की स्थिति से भी मानव के दिलों में नफऱत की भावनायें बढ़ी हैं, जिसके कारण मानव-मानव के बीच दीवारें बनी हैं, जिन्हें प्यार के पुल बना कर ही गिराया जा सकता है। तभी एकत्व से अपनत्व का भाव बनेगा और हर मानव सुख चैन से जीवन बिता पायेगा। देश के आज़ादी के अमृत महोत्सव का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि मिशन भी 75वां वार्षिक निरंकारी संत समागम मना रहा है। उन्होंने कहा कि देश की आज़ादी द्वारा हम भौतिक रूप में तो आज़ाद हो गए, किन्तु रूह की आज़ादी परमात्मा की पहचान द्वारा ही संभव है। उसके उपरान्त ही सही अर्थों में मानवीय गुणों से युक्त जीवन जिया जा सकता है और मुक्ति भी प्राप्त हो सकती है।   सेवादल रैली निरंकारी संत समागम के इतिहास में ऐसा प्रथम बार हुआ कि जब एक पूरा दिन सेवादल को समर्पित किया गया।