पिछडों की जनगणना के मुद्दे पर पार्टियां स्टैंड स्पष्ट करें: रोहलीवाल
Wed, 11 Jan 2023

सिरसा, 11 जनवरी। पिछड़ा वर्ग की जातिगत जनगणना की मांग पिछले तीस वर्षो से की जा रही है। 2001 से पहले सेसेन्स के रजिस्ट्रार जनरल ने भी इसकी सिफारिश की। आरक्षण के मामलों पर सुनवाई कर रहे न्यायधीशों ने ऐसे आंकडों की जरूरत रेखांकित की। वहीं 2011 के सेंसेस से पहले लोकसभा में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर ओ.बी.सी समेत हर जाति की जातिवाद जनगणना का समर्थन किया गया था। वहीं 2018 में गृह राज्यमंत्री रहे राजनाथ सिंह ने औपचारिक घोषणा की कि 2021 के सेसेंस में पिछडों की जाति आधारित गिनती होगी। अनेक राज्य सरकारें इसका प्रस्ताव भेज चुकी हैं तथा राष्ट्रीय पिछडा वर्ग आयोग भी केंद्र को इसका प्रस्ताव भेज चुका है। फिर भी यह मामला लंबित पड़ा है।
ये बात पिछडा व शोषित वर्ग चेतना मंच के संयोजक व अखिल भारतीय जांगिड़ ब्रा. महासभा के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजकुमार रोहलीवाल ने कही। वाजपेई सरकार ने सेंसेस रजिस्ट्रार के प्रस्ताव को ठुकराया। वहीं मनमोहन सिंह की सरकार ने संसद के सर्वसम्मत प्रस्ताव को टरका दिया। वर्तमान सरकार भी इस मुद्दे पर स्टैंड स्पष्ट कर चुकी है कि ओ.बी.सी की जातिगत जनगणना नहीं होगी। रोहलीवाल ने कहा कि हर राजनीतिक पार्टी विपक्ष में रहते हुए पिछडों की जातिगत जनगणना के करवाने की मांग करती है। परन्तु सत्ता में आते ही वही पार्टी इस मुद्दे पर चुप्पी साध लेती हैं जबकि विश्व के लगभग सभी देशों में समय अनुसार जनगणना की जाती है। वहीं प्राचीनतम ग्रंथ ऋ ग्वेद में भी जनगणना का उल्लेख मिलता है।
ये बात पिछडा व शोषित वर्ग चेतना मंच के संयोजक व अखिल भारतीय जांगिड़ ब्रा. महासभा के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजकुमार रोहलीवाल ने कही। वाजपेई सरकार ने सेंसेस रजिस्ट्रार के प्रस्ताव को ठुकराया। वहीं मनमोहन सिंह की सरकार ने संसद के सर्वसम्मत प्रस्ताव को टरका दिया। वर्तमान सरकार भी इस मुद्दे पर स्टैंड स्पष्ट कर चुकी है कि ओ.बी.सी की जातिगत जनगणना नहीं होगी। रोहलीवाल ने कहा कि हर राजनीतिक पार्टी विपक्ष में रहते हुए पिछडों की जातिगत जनगणना के करवाने की मांग करती है। परन्तु सत्ता में आते ही वही पार्टी इस मुद्दे पर चुप्पी साध लेती हैं जबकि विश्व के लगभग सभी देशों में समय अनुसार जनगणना की जाती है। वहीं प्राचीनतम ग्रंथ ऋ ग्वेद में भी जनगणना का उल्लेख मिलता है।