जिला पुस्तकालय में स्वच्छता को ताक पर रखकर भूल गया प्रशासन
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सिरसा, 18 नवंबर। धार्मिक नगरी सिरसा को हरियाणा के साहित्य की राजधानी भी कहा जाता है, यहां पर सबसे ज्यादा कवि, लेखक और रचनाकार हैं और सबसे अधिक पुस्तकें यहीं पर लिखी जाती है। पुस्तकों की उपयोगिता सिरसा वालों से भला और कौन जानता है। पुस्तकें सिरसा के लोगों की मित्र बनी हुई हैं। यहीं कारण है कि सिरसा में सबसे ज्यादा पुस्तकालय भी है। सबसे प्राचीन पुस्तकालय श्री युवक साहित्य सदन है जहां पर अनेक राष्ट्र कवि और अनेक बड़ें साहित्यकार, सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक लोग आ चुके है। बालभवन के समीप जिला पुस्तकालय भी है। जिसके तीनों ओर घास, फूंस और झाडियां इसकी पहचान बनकर रह गई है। इसकी साफ सफाई को ताक पर रख दिया है। पुस्तकालय में पुस्तकें पढऩे का माहौल हो तभी उसकी उपयोगिता सार्थक हो सकती है स्वच्छता मन की प्रफुल्लता और और एकाग्रता के लिए जरूरी है। सिरसा में अपै्रल 1985 में सरकारी स्तर पर अनाजमंडी में पुस्तकालय खोला गया था। जिसे एक जुलाई 1989 में बालभवन के साथ वाले भवन में स्थानातंरित कर दिया गया जिसे आज जिला पुस्तकालय और ई-लाइब्रेरी के नाम से जाना जाता है। सरकार ने अपनी ओर से कोई क सर नहीं छोड़ी। प्रथम तल पर भी पढऩे की व्यवस्था की गई है। बडे बड़े पेड़ और उनकी हरियाली देखते ही बनती है। पर अब भवन की देखभाल न होने पर वह जर्जर होने की तरफ बढ़ रहा है। रंगरोगन जरूरी है। उचित फर्नीचर की व्यवस्था आज की जरूरत है। पुस्तकों के नए-नए संस्करण की भी जरूरत है। इस पुस्तकालय के एक ओर बड़ा सा मैदान है या कह सक ते हैं पार्क है। इस पार्क में बड़ी बड़ी घास-फूंस और झाडियां खड़ी हुई हैं। जहां पर मच्छरों, कीट पंतगों को होना स्वाभाविक हैं। इसके साथ ही गोह और सांप का खतरा भी बना रहता है। बरसात में ऐेसे जीव बाहर निकल आते है। ऐसे जीव सदैव पुस्तकालय आने वालों के लिए खतरा बने रहते हैं। इस घास फूंस और झाडियों और पार्क की घास को कटवाकर उसमें पानी लगाकर अच्छा बनाया जा सकता है। पार्क के किनारे पर रंग बिरंगे फू ल वाले पौधे लगाए जा सकते है। इससे पुस्तकालय का सौंदर्य और बढ़ जाएगा। जिला उपायुक्त और इस पुस्तकालय का संचालन करने वाले लोगों को सौंदर्यकरण की पहल के लिए आगे आना चाहिए अगर प्रशासन के लिए इसके लिए बजट नहीं है तो अनेक संस्थाएं हैं जो इस कार्य के लिए आगे आ सकती है।