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भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा है गुरु-शिष्य परंपरा: उपायुक्त

परंपरा के तहत लड़कियों को दिया जलवा पूजन व घूमर का प्रशिक्षण 
 
भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा है गुरु-शिष्य परंपरा: उपायुक्त
रोहतक, 5 जनवरी। उपायुक्त यशपाल ने कहा कि गुरु शिष्य परंपरा भारतीय संस्कृति का एक अहम हिस्सा रही है। लेकिन बदलती परिस्थितियों में इस परंपरा का प्रचलन लगातार कम होता जा रहा है। 
उपायुक्त यशपाल ने कहा कि गुरु-शिष्य परंपरा को कायम रखने के लिए विभिन्न स्तरों पर प्रयास किए जा रहे हैं। उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र द्वारा भी इस दिशा में लगातार कार्य किया जा रहा है ताकि गुरु-शिष्य परंपरा को प्रोत्साहन मिल सके। उन्होंने कहा कि भारतीय सभ्यता के अनुसार समाज में गुरु को भगवान से भी श्रेष्ठ माना गया है। शिक्षा, खेल अथवा सांस्कृतिक क्षेत्र सभी में प्रशिक्षक को अपना आदर्श माना जाता था, वही उनकी बताई गई बातों का प्रत्येक बच्चा अनुशरण करते थे। लेकिन समय बदला, परिस्थितियां बदली और आज गुरु-शिष्य के रिश्ते भी बदल गए। उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र द्वारा गुरु शिष्य परंपरा को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से लीला कला मंच, रोहतक के सहयोग से 3 माह का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया।
उपायुक्त यशपाल ने बताया कि इस कार्यक्रम में 8 लड़कियों को हरियाणवीं लोक संस्कृति से संबंधित जलवा पूजन व घूमर नृत्य का प्रशिक्षण दिया गया। उल्लेखनीय है कि हरियाणा में त्योहार अथवा खुशी के मौके पर घूमर नृत्य किया जाता है। इसी प्रकार से बच्चे के जन्म पर जलवा पूजन की रस्म अदा की जाती है। इस कार्यक्रम में गुरु की भूमिका लीला कला मंच की निदेशक एवं हरियाणवी फिल्मों की डांस डायरेक्टर लीला सैनी ने निभाई और 8 बच्चियों को नृत्य का प्रशिक्षण दिया। इन सभी बच्चियों को केंद्र द्वारा 1500 रुपये प्रतिमाह के हिसाब से स्टाईफंड भी दिया गया। गुरु शिष्य परम्परा के तहत जिन 8 लड़कियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया उनमें हेमलता, तन्नु, शिवानी, अनुष्का, ईशा सैनी, प्रिंसी, नरगिस व मनीषा शामिल है। कार्यक्रम में हर्मोनियम पर गुलाब सिंह व ढोलक पर सुरेंद्र ने संगत की।