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पानीपत रैली में मंच पर दिखी गुटबाजी, मंच पर हुड्डा गुट ने दिखाया दबदबा

हुड्डा पिता-पुत्र और मंच संचालक राव दान सिंह ने किरण चौधरी और श्रुति का नाम तक नहीं लिया 
 
पानीपत रैली में मंच पर दिखी गुटबाजी,मंच पर हुड्डा गुट ने दिखाया दबदबा 
सिरसा, 7 जनवरी। राहुल गांधी की भारत जोडो यात्रा के दौरान पानीपत में आयोजित रैली के मंच पर कांगे्रस के सभी वरिष्ठ नेता मंचासीन थे पर वहां पर भी गुटबाजी हावरी रही। मंच पर हुड्डा गुट ने अपना पूरा  दबदबा दिखाया। पार्टी हाईकमान की मौजूदगी में  हुड्डा गुट ने दूसरे गुट के नेताओं को कोई तब्बजो नहीं दी यहां तक कि हुड्डा पिता-पुत्र और मंच संचालक राव दान सिंह ने किरण चौधरी और श्रुति चौधरी का मंच से नाम तक नहीं लिया। भारत जोडो यात्रा भी कांगे्रस के नेताओं का दिल से दिल नहीं जोड़ पाई वह देश के लोगों को कैसे जोड़ पाएगी।
मंच पर दिखी गुटबाजी की धमक आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव में जरूर सुनाई देगी। पार्टी की फूट का लाभ किसी न किसी राजनीतिक दल को जरूर मिलेगा।
कांगे्रस पार्टी कभी अनुशासित पार्टी हुआ करती थी पर आजकल ऐसा कुछ दिखाई नहीं दे रहा है। जब से कांगे्रस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने अनुशासन की हदों को पार किया है तब से लेकर आज तक वह बिखरी हुई है। देश पर एकछत्र  राज करने वाली कांगे्रस आज एक अदद जीत के लिए तरस रही है। मोदी शासन में जनता महंगाई, बेरोजगारी, तानाशाही से जूझ रही है जनता बदलाव चाहती है पर  कांगे्रस और विपक्ष के पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कोई विकल्प नहीं है और राहुल गांधी को उनका विकल्प मानने को जनता तैयार नहीं हैं। जब से मोदी ने अंतरराष्ट्रीय पटल पर देश की जो ताकत बढाई है, मान सम्मान बढ़ाया है उससे मोदी लोगों के दिलों में बस चुके है। देश से बड़ी कोई पार्टी नहीं हो सकती और न ही कोई नेता। सब अपनी- अपनी राजनीति कर रहा है। ज्यादातर चुनाव में हार का सामने करने वाली कांगे्रस का कार्यकर्ता तक मायूस हो चुका है वह कब तक सत्ता से दूर रहेगा ऐसे में वह दूसरे राजनीतिक दलों की ओर भाग रहे हैं। कांगे्रस में गुटबाजी इतनी ज्यादा हाबी हो चुकी है कि उसे खत्म करना नामुमकिन सा लग रहा है। जहां एक दूसरे की टांग खींची जा रही है वह भला कैसे ऊंचाई पर  पहुंच सकता है। कांगे्रस में सब एक दूसरों को दुश्मन की निगाह से देखते है। हरियाणा कांगे्रस में सबके  अपने अपने चूल्हें हैं कोई खिचड़ी पका रहा है तो कोई खीर पकाने का दावा कर रहा है। हाईकमान को लग रहा है चलो सब काम से तो लगे हुए है, चुनाव न जीत पाए तो क्या गुटबाजी में पार्टी का नाम तक जिंदा है।
पानीपत में भारत जोडा़े यात्रा के दौरान राहुल गांधी की रैली थी जिसमें भीड़ जुटाने के लिए हर नेता ने अपना अपना शक्ति प्रदर्शन किया। हर जिला के हर कोने से कार्यकर्ता पानीपत पहुंचा। भीड़ देखकर राहुल गांधी और वरिष्ठ नेतागण काफी खुश हुए होंगे पर उन्हें क्या पता था कि कार्यकर्ता गुटों में बंटे हुए है सब अपने अपने नेता के जयकारे लगाने पहुंचे हैं। रैली का मंच विशाल था हुड्डा गुट के विरोधी पूर्व केंद्रीय मंत्री सैलजा, राज्यसभा सदस्य रणदीप सिंह सुरजेवाला पूर्व मंत्री किरण चौधरी और पूर्व सांसद श्रुति चौधरी को एक साथ मंच के एक कोने में जगह दी गई थी जबकि  राहुल गांधी के दाहिने ओर  कांगे्रस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े, प्रदेशाध्यक्ष उदयभान, केसी वेणुगोपाल, राहुल के बाई ओर भूपेंद्र सिंह हड्डा, प्रदेश प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल, दिग्विजय सिंह और राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र सिंह हुड्डा थे। यानि सीट प्लान इस प्रकार किया गया था कि हुड्डा गुट के विरोधियों को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बोलने का कोई मौका न मिले।
मंच पर पूरी तरह से हुड्डा गुट का कब्जा रहा। हुड्डा गुट के अधिकतर विधायकों को मंच से बोलने का मौका दिया गया। कांगे्रस की राष्ट्रीय महासचिव सैलजा, राज्यसभा सदस्य रणदीप सिंह सुरजेवाला, पूर्व मंत्री किरण चौधरी और पूर्व सांसद श्रुति चौधरी को बोलने का मौका ही नहीं दिया।  पार्टी में रणदीप सिंह सुरजेवाला और सैलजा को कद बहुत ऊंचा है और प्रोटोक ॉल के हिसाब से दोनों को बोलने का मौका दिया जाना चाहिए था। राहुल गांधी के आने से पहले सैलजा गुट के विधायक  शमशेर गोगी, सुरजेवाला के नजदीकी कांगे्रस के कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष सुरेश मतलौड़ा और कुछ पल बोलने का मौका दिया गया।  हुड्डा गुट की ओर से खरखौदा के विधायक जयवीर वाल्मीकि,  इसराना के विधायक बलबीर वाल्मीकि पूर्व मंत्री गीता भुक्कल और आफताब अहमद को बोलने का खूब मौका मिला। मंच संचालन राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र सिंह हुड्डा और राव दान सिंह ने किया पर दोनों ने ही मंच से एक बार भी किरण चौधरी और श्रुति का नाम तक नहीं लिया।
जब कांगे्रस अपने महबूब नेता राहुल गांधी के सामने एकजुट नहीं हुई तो आगे एकजुट होने की कोई संभावना नहीं है। सबसे अहम बात यह थी राहुल गांधी की इस रैली में गानों के माध्यमों से राहुल गांधी को संदेश दिया गया कि हरियाणा का अगला मुख्यमंत्री तो भूपें्रद सिंह हुड्डा ही होगा यानि हुडा गुट ने साफ कर दिया कि हरियाणा कांगे्रस में तो एक ही नेता है जिसका नाम है भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांगे्रस को हरियाणा में हुड्डा की उंगलियों पर ही नाचना होगा जिसने अलग नाचने की कोशिश की तो वह गिर जाएगा। हुड्डा के आगे अशोक  तंवर और सैलजा प्रदेशाध्यक्ष की कुर्सी पर सवार तो जरूर हुए पर काम नहीं कर सके । संगठन तक खड़ा करने का मौका तक नहीं दिया। आज हरियाणा कांग्रे्रस की कमान उदयभान के हाथों में है जो हुड्डा के हाथों में खेल रहे है, अप्रत्यक्ष रूप से कहा जा सकता है कि प्रदेशााध्यक्ष की सारी पॉवर भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दीपेंद्र सिंह हुड्डा के हाथों में है जो इन दोनों पिता पुत्रों को सलाम करेगा वहीं कांग्रेस में राज करेगा।