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भक्त के अधीन होते है भगवान: संत गोबिंददास

 
भक्त के अधीन होते है भगवान: संत गोबिंददास

सिरसा, 19 नवंबर। ऋ षिकेश से पधारे ब्रह्मचारी संत गोबिंददास महाराज ने कहा कि भगवान भक्त के अधीन होते हैं और जब ऐसा होता है तो भगवान स्वयं को भक्त के  प्रति समर्पित कर देते हैं। उन्होंने कहा कि श्रीमदभागवत कथा का श्रवण करने से जीवन की सभी  समस्याओं का समाधान होता है व जीवन संकटमुक्त हो जाता है। वे कंगनुपर रोड स्थित हरि विष्णु कालोनी गली नंबर आठ में रजनीश बांसल एडवोकेट की ओर से आयोजित  दुर्लभ सत्संग एवं श्रीमद् भागवत कथा में बतौर कथा व्यास पीठ से श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि धर्म के तीन लक्षण, ब्राह्मण के छह कर्म होते हैं। क्षत्रीय का धर्म सबकी रक्षा करना होता है। वैश्य का धर्म व्यापार करना, गौसेवा और कृषि करना होता है। शूद्र का धर्म सेवा करना, पति का धर्म पत्नी की सेवा करना,  ग्रहस्थ का धर्म अतिथि का सेवा और सत्कार करना, ब्रह्मचारी का धर्म गुरू की सेवा करना और स्त्री से दूर रहना होता है। 
ग्राह और गजेंद्र कथा का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि जब गजेंद्र संकट में फंसा तो उसने मदद के लिए ईश्वर को पुकारा, ईश्वर उसकी मदद के लिए पहुंचे यानि जो सच्चे मन से ईश्वर को याद करता है उसकी मदद करने के लिए ईश्वर जरूर आते है, ईश्वर के दर्शन पाकर ग्राह और गजेंद्र दोनों का उद्धार हुआ। इसके बाद  संत गोबिंददास महाराज समुद्र मंथन कथा का वृतांत सुनाया। उन्होंने कहा कि चौदहवें रत्न के रूप में भगवान धनवंतरि अमृत कलश लेकर समुद्र से बाहर आए थे। उन्होंने कहा कि जब देवताओं को अमृतपान करवाया जा रहा था तो राक्षस राहु देवताओं का रूप धारण कर देवताओं में शामिल होकर अमृत पी गया जब इस बात का पता भगवान विष्णु को चला तो उन्होंने सुदर्शन चक्र से राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया। उसके दोनों हिस्सों को राहु और के तु नाम दिया गया क्योंकि उसने अमृतपान किया था इसलिए वह अमर हो गया। उन्होंने कहा कि दृष्टि केवल परिणाम पर हो तो असफलता हासिल होती है अगर कर्म करते हुए भगवान का स्मरण किया जाए तो सफलता जरूर मिलती है।  इसके बाद  वामन अवतार लीला का मंचन हुआ और संत गोबिंददास महाराज ने इसका विस्तार से वर्णन किया। मुख्य अतिथि श्री बाबा तारा जी कुटिया के मुख्य सेवक एवं वरिष्ठ भाजपा नेता गोबिंद कांडा ने वामन अवतार की पूजा की। संत गोबिंददास महाराज ने बताया कि किस प्रकार भगवान वामन ने राजा बली के साथ छत कर संपूर्ण लोक हासिल किए और देवताओं को राक्षसों से मुक्त करवाया। लक्ष्मी ने राजा बली तो राखी बांधी थी तब भी रक्षाबंधन पर्व शुरू हुआ। इसके बाद में नंद के  आनंद भयो जय कन्हैया लाल की भजन सुनाया तो पूरा पंडाल झूम उठा। गोबिंद कांडा व उनके साथ आए प्रदीप गुप्ता, इंद्रोश गुज्जर, राजेंद्र मकानी, राजन शर्मा, हरि प्रकाश शर्मा, कथा आयोजक रजनीश बांसल एडवोकेट, रघुनाथ बांसल, शिवा गुप्ता झूमकर नाचे। इस दौरान कथा व्यासपीठ से उपहारों की श्रद्धालुओं पर बरसात की गई। अंत में श्रीमदभागवत आरती हुई। सभी श्रद्धालुओं को माखन मिश्री का प्रसाद वितरित किया गया।