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प्रदेश में डेंगू का प्रकोप तेज, सरकार आत्मप्रवंचना में मस्त: नेहरा

 
प्रदेश में डेंगू का प्रकोप तेज, सरकार आत्मप्रवंचना में मस्त: नेहरा

सिरसा, 22 नवंबर। हरियाणा प्रदेश में डेंगू का प्रकोप बहुत तेजी से फैल रहा है और हजारों लोग इससे प्रभावित होकर अपना उपचार करवा रहे हैं मगर प्रदेश सरकार डेंगू के बढ़ते प्रकोप को लेकर कतई गंभीर नहीं है। यह आरोप पूर्व शिक्षा एवं सिंचाई मंत्री चौ. जगदीश नेहरा ने यहां जारी बयान में लगाया। नेहरा ने सरकार पर अपनी प्रशंसा में डूबे होने की भी बात कही है। अपने बयान में पूर्व मंत्री ने कहा कि हरियाणा में डेंगू के सर्वाधिक मामले पंचकूला और हिसार जिले में आए हैं। पंचकूला में अब तक 1787 डेंगू के केस मिल चुके हैं वहीं हिसार में 1158 लोग डेंगू पॉजिटिव पाए जा चुके हैं। इस साल डेंगू की वजह से कई लोगों की मौत भी हो चुकी है। नेशनल वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल अभी तक हरियाणा में 6 हजार 151 लोगों की डेंगू रिपोर्ट पॉजिटिव आई है, वहीं इस साल के 10 महीने में ही डेंगू से 14 मौतें हो चुकी हैं। श्री नेहरा ने कहा कि गुरूग्राम में 422, यमुनानगर में 539, अंबाला में 252 और रेवाड़ी में 222 डेंगू के केस मिले हैं। चिंताजनक बात यह है कि हर रोज 100 मरीज मिल रहे हैं। विभाग की ओर से 500 से अधिक सैंपल लिए जा रहे हैं जिनमें 100 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है। सिरसा जिले में डेंगू का आंकड़ा 210 पहुंच चुका है। रोहतक, सोनीपत, झज्जर, जींद आदि जिलों में भी डेंगू के मामले सामने आए हैं। पानीपत में 160 केस रिपोर्ट हुए हैं। पूर्व मंत्री नेहरा ने कहा कि इससे पहले 2021 में डेंगू के 11 हजार 835 मामले आए थे जिनमें से 13 लोगों की मौत हो गई थी। ऐसे में एक बार फिर इस साल डेंगू से हालात बिगड़ते जा रहे हैं। कायदे से सरकार को चाहिए कि घर-घर सर्वे करवाकर डेंगू के बारे में लोगों को जानकारी दे और अगर कोई पीडि़त है तो उसके उपचार का प्रबंध सरकारी अस्पतालों में विशेष वार्ड स्थापित करके करवाए। डेंगू पीडि़त होने पर मरीज के घर परिवार में चिंता का माहौल बन जाता है। निजी अस्पतालों का महंगा उपचार करवाना हर किसी के बस की बात नहीं है। सरकार को चाहिए कि डेंगू जैसी बीमारी की रोकथाम के लिए व्यापक स्तर पर कदम उठाए। इसके विपरीत सरकार तो अपने महिमामंडन में ही जुटी हुई है। सच्चाई यह है कि इस बीमारी की रोकथाम का जिम्मा स्वास्थ्य विभाग के पास है लेकिन स्वास्थ्य विभाग के पास इस पर नियंत्रण के लिए पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध नहीं है जिससे लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है।