निरंतरता किसी भी कार्य में सफलता की कुंजी: राकेश शर्मा
Fri, 30 Dec 2022

आदमपुर, 30 दिसंबर। शांति निकेतन पब्लिक स्कूल में आज से सात दिवसीय राष्ट्रीय सेवा योजना शिविर प्रारंभ हुआ। आदमपुर के राजकीय बहुतकनीकी संस्थान के फार्मेसी विभाग के अध्यक्ष व एनएसएस अधिकारी डॉ. राकेश शर्मा ने आज इस शिविर का शुभारंभ करते हुए स्वयंसेवकों को संबोधित किया। उन्होंने एनएसएस के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि राष्ट्र निर्माण में स्वयंसेवकों का अहम योगदान होता है।
एनएसएस स्वयंसेवक लोगों के साथ समाजहित के कार्य करते हैं। एनएसएस के ध्येय वाक्य ‘स्वयं से पहले आप’ के बारे में बच्चों को जागरूक करते हुए उन्होंने कहा कि हमें सदैव दूसरों की दु:ख तकलीफ का ध्यान रखते हुए ही कार्य करना चाहिए। बच्चों को विद्यालय जीवन से यह गुण विकसित करना चाहिए। किसी भी कार्य में हम निरंतरता/कंसिस्टेंसी बनाए रखें तो उसमें सफलता निश्चित है।
कैंप संयोजक अध्यापक हरिसिंह ने कहा कि स्वंयसेवक जहां एक ओर साक्षरता, पर्यावरण सुरक्षा, स्वास्थ्य व स्वच्छता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देते हैं वहीं दूसरी ओर आपातकाल या प्राकृतिक आपदा के समय ये जी जान से सहायता में जुट जाते हैं। एनएसएस के चार प्रमुख तत्व हैं जिसमें छात्र, शिक्षक, समुदाय और कार्यक्रम शामिल हैं। स्वयंसेवी प्रतिवर्ष कम से कम 120 घंटे सेवा कार्य करते हैं। पढ़ाई के बाद या सप्ताह के अंत में स्वयंसेवक ये सेवाकार्य करते हैं। जिससे उनकी पढ़ाई बाधित नहीं होती।
चेयरमैन पपेन्द्र ज्याणी ने इस अवसर पर स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए एनएसएस के माध्यम से विद्यार्थीकाल से बच्चों में समाजसेवा के गुण विकसित होते हैं। उनमें अपने समाज के प्रति सहयोग और सद्भाव की भावना प्रबल होती है। इसलिए यह प्रण लें कि हम समाज में अच्छे आचरण का प्रदर्शन करते हुए समाज के विकास में भागीदार बनेंगे।
प्रिंसिपल राजेंद्र ने बताया कि एनएसएस स्वयंसेवकों द्वारा किए गए अच्छे कार्यों के लिए भारत सरकार द्वारा उन्हें पुरस्कृत भी किया जाता है। इसके तहत राष्ट्रीय स्तर पर वार्षिक पुरस्कार दिए जाते हैं। साथ ही उन्हें अंतर्राष्ट्रीय युवा शिविर, साहसिक कैंप व गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल होने का अवसर मिलता है।
एनएसएस स्वयंसेवक लोगों के साथ समाजहित के कार्य करते हैं। एनएसएस के ध्येय वाक्य ‘स्वयं से पहले आप’ के बारे में बच्चों को जागरूक करते हुए उन्होंने कहा कि हमें सदैव दूसरों की दु:ख तकलीफ का ध्यान रखते हुए ही कार्य करना चाहिए। बच्चों को विद्यालय जीवन से यह गुण विकसित करना चाहिए। किसी भी कार्य में हम निरंतरता/कंसिस्टेंसी बनाए रखें तो उसमें सफलता निश्चित है।
कैंप संयोजक अध्यापक हरिसिंह ने कहा कि स्वंयसेवक जहां एक ओर साक्षरता, पर्यावरण सुरक्षा, स्वास्थ्य व स्वच्छता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देते हैं वहीं दूसरी ओर आपातकाल या प्राकृतिक आपदा के समय ये जी जान से सहायता में जुट जाते हैं। एनएसएस के चार प्रमुख तत्व हैं जिसमें छात्र, शिक्षक, समुदाय और कार्यक्रम शामिल हैं। स्वयंसेवी प्रतिवर्ष कम से कम 120 घंटे सेवा कार्य करते हैं। पढ़ाई के बाद या सप्ताह के अंत में स्वयंसेवक ये सेवाकार्य करते हैं। जिससे उनकी पढ़ाई बाधित नहीं होती।
चेयरमैन पपेन्द्र ज्याणी ने इस अवसर पर स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए एनएसएस के माध्यम से विद्यार्थीकाल से बच्चों में समाजसेवा के गुण विकसित होते हैं। उनमें अपने समाज के प्रति सहयोग और सद्भाव की भावना प्रबल होती है। इसलिए यह प्रण लें कि हम समाज में अच्छे आचरण का प्रदर्शन करते हुए समाज के विकास में भागीदार बनेंगे।
प्रिंसिपल राजेंद्र ने बताया कि एनएसएस स्वयंसेवकों द्वारा किए गए अच्छे कार्यों के लिए भारत सरकार द्वारा उन्हें पुरस्कृत भी किया जाता है। इसके तहत राष्ट्रीय स्तर पर वार्षिक पुरस्कार दिए जाते हैं। साथ ही उन्हें अंतर्राष्ट्रीय युवा शिविर, साहसिक कैंप व गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल होने का अवसर मिलता है।