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जन संघर्ष यात्रा : हजारों समर्थकों के साथ जयपुर की तरफ पैदल बढ़ रहे पायलट

 
जन संघर्ष यात्रा : हजारों समर्थकों के साथ जयपुर की तरफ पैदल बढ़ रहे पायलट
जयपुर, 14 मई। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा सरकार में हुए भ्रष्टाचार तथा पेपरलीक मामले को लेकर 11 मई को अजमेर से शुरू हुई पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट की यात्रा राजधानी जयपुर शहर की सीमा के नजदीक पहुंच रही है। जन संघर्ष यात्रा के चौथे दिन रविवार को सुबह नौ बजे पदयात्रा जयपुर जिले के महला से शुरू हुई। यात्रा का पहला चरण करीब 11 बजे दहमीकला में पूरा हो गया है। अब दहमीकला में दिन का विश्राम होगा। यात्रा दूसरे फेज में दहमीकला से महापुरा के लिए शाम चार बजे रवाना होगी। यात्रा के चौथे दिन की शुरुआत में सुबह से ही हजारों की संख्या में पायलट समर्थक उनके साथ चल रहे हैं।

यात्रा के चौथे दिन सचिन पायलट ने कहा कि जनसंघर्ष यात्रा का मकसद किसी का विरोध करना नहीं है, इसका मकसद युवाओं के भविष्य को सुरक्षित करना और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज को अधिक बुलंद करना है। भाजपा के राज में हमने गंभीर करप्शन के आरोप लगाए थे। हमें अब जनता के बीच जाकर काम बताने होंगे। जनता में विश्वास तभी रहता है जब हमने जो वादे किए उन पर कार्रवाई हो। दूसरी तरफ दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत करते हुए राजस्थान कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने सचिन पायलट की यात्रा की टाइमिंग पर सवाल उठाए हैं। हालांकि, रंधावा ने पायलट परिवार से अपने पुराने रिश्तों का जिक्र करते हुए अपने रुख में नरमी के संकेत भी दिए हैं। उन्होंने कहा कि आप किसी से पूछ लेना मेरे फादर और सचिन के फादर बेस्ट फ्रेंड थे। हमारे पारिवारिक रिश्ते हैं। वो मेरा छोटा भाई है। मैंने पहले भी उससे फोन पर बात की है। उन्होंने कहा कि मैं सभी को लेकर चलने कोशिश कर रहा हूं।

रंधावा ने चुनावी फेस को लेकर कहा कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में एक होकर चुनाव लड़ेंगे। एक फेस से ही चुनाव लड़ेंगे, डबल फेस नहीं आएगा। उन्होंने कहा कि गहलोत बहुत पुराने लीडर हैं उनके दिलों-दिमाग में कांग्रेस है। एआईसीसी में सबसे ज्यादा उनका अनुभव है। वहीं, सचिन की यात्रा उनकी निजी यात्रा है। हालांकि, उनकी टाइमिंग गलत है। जब कर्नाटक को वोटिंग थी तो उन्हें वेट करना चाहिए था। हम सभी को सबसे पहले कांग्रेस की बात करनी चाहिए। पायलट पर रंधावा ने कहा कि वे थोड़े से एग्रेसिव हैं। उन्हें एंबिशियस होना चाहिए, लेकिन ओवरएंबिशियस नहीं होना चाहिए। पार्टी में उनके लिए बहुत टाइम पड़ा है। कांग्रेस बीजेपी की तरह नहीं है। हमारे जो नेता हैं उनको सोचने से ज्यादा देती है। मैं देखूंगा कि किसने उकसाया, मेरे प्रभारी बनने से पहले की बातों को नहीं उठाऊंगा। गहलोत और पायलट के बीच जुबानी जंग और उकसाने वाले बयानों पर रंधावा ने कहा- मैं अभी वहां गया नहीं अभी वहां जाकर देखेंगे कि किसने उकसाने वाले बयान दिए। किसने उकसाया। अब जो मेरे आने से पहले की बातें हैं, उनको मैं नहीं उठाना चाहता।

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद अब कांग्रेस हाईकमान राजस्थान के मुद्दे पर फैसला करेगा। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक हाईकमान सचिन पायलट और अशोक गहलोत को चुनावी साल में एक मंच पर लाने का मैसेज देना चाहते हैं। इसके लिए पहले दोनों नेताओं के बीच मौजूदा कोल्ड वॉर को मिटाना जरूरी है। मल्ल्किार्जुन खड़गे ने दोनों नेताओं के बीच सुलह करवाने को कहा है। जल्द सुलह फार्मूले पर काम शुरू होने के आसार हैं। पायलट के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने के पीछे यह भी एक बड़ा कारण है।