किसान क्रेडिट कार्ड की संख्या बढ़कर 7.75 करोड़ हुई: आर्थिक सर्वेक्षण
2014-15 से 2023-24 तक जमीनी स्तर पर ऋण ₹8.45 लाख करोड़ से बढ़कर ₹25.48 लाख करोड़ हो गया
Jan 31, 2025, 19:20 IST

26 प्रतिशत वित्त वर्ष 24 में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत नामांकित किसानों की संख्या में वृद्धि
नई दिल्ली, 31 जनवरी केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 पेश किया। इसमें केंद्रीय मंत्री ने बताया कि मार्च 2024 तक देश में 7.75 करोड़ चालू किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) खाते थे, जिन पर 9.81 लाख करोड़ रुपये का ऋण बकाया है। 31 मार्च 2024 तक मत्स्य पालन और पशुपालन गतिविधियों के लिए क्रमशः 1.24 लाख केसीसी और 44.40 लाख केसीसी जारी किए गए।
संशोधित ब्याज छूट योजनाः
वित्तीय वर्ष 25 से संशोधित ब्याज छूट योजना (एमआईएसएस) के तहत दावा प्रसंस्करण को किसान ऋण पोर्टल (केआरपी) के माध्यम से डिजिटल कर दिया गया है, ताकि एमआईएसएस दावों को तेज़ी से और अधिक कुशल तरीके से कैप्चर और सेटल किया जा सके। 31 दिसंबर 2024 तक 1 लाख करोड़ से अधिक दावों का प्रसंस्करण किया जा चुका है। एमआईएसएस-केसीसी योजना के तहत वर्तमान में लाभान्वित होने वाले लगभग 5.9 करोड़ किसानों को केआरपी के माध्यम से मैप किया गया है। छोटे और सीमांत किसानों को और अधिक सहायता प्रदान करने के लिए, बैंकों को अपने समायोजित शुद्ध बैंक ऋण (एएनबीसी) या ऑफ-बैलेंस शीट एक्सपोजर (सीईओबीई) के बराबर ऋण राशि का 40 प्रतिशत, जो भी अधिक हो, कृषि सहित प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को आवंटित करना चाहिए। उपरोक्त सभी उपायों ने गैर-संस्थागत ऋण स्रोतों पर निर्भरता को 1950 के 90 प्रतिशत से घटाकर वित्त वर्ष 22 में लगभग 25.0 प्रतिशत कर दिया है।
कृषि के लिए जमीनी स्तर पर ऋणः
कृषि के लिए जमीनी स्तर पर ऋण (जीएलसी) ने भी 2014-15 से 2024-25 तक 12.98 प्रतिशत की सीएजीआर के साथ प्रभावशाली वृद्धि दिखाई है। जीएलसी 2014-15 में ₹8.45 लाख करोड़ से बढ़कर 2023-24 में ₹25.48 लाख करोड़ हो गया है। इसमें छोटे और सीमांत किसानों की हिस्सेदारी 2014-15 से 2023-24 तक ₹3.46 लाख करोड़ (41 प्रतिशत) से बढ़कर ₹14.39 लाख करोड़ (57 प्रतिशत) हो गई है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनाः
वित्तीय वर्ष 2020-21 में राज्य सरकारों और बीमा कंपनियों की भागीदारी 20 और 11 से बढ़कर वित्त वर्ष 2025 में क्रमशः 24 और 15 हो गई है। इसके अतिरिक्त इन हस्तक्षेपों ने पिछले वर्षों की तुलना में प्रीमियम दरों में 32 प्रतिशत की कमी लाने में योगदान दिया है। परिणामस्वरूप, वित्त वर्ष 2024 की अवधि में नामांकित किसानों की संख्या 4 करोड़ तक पहुंच गई, जो वित्त वर्ष 23 की अवधि में 3.17 करोड़ से 26 प्रतिशत की वृद्धि है। वित्त वर्ष 24 में बीमित क्षेत्र भी बढ़कर 600 लाख हेक्टेयर हो गया, जो वित्त वर्ष 23 में 500 लाख हेक्टेयर से 19 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
पीएम-किसान और प्रधानमंत्री किसान मानधन योजनाः
पीएम-किसान जैसी सरकारी पहल, जो किसानों को प्रत्यक्ष आय में सहायता प्रदान करती है और प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना (पीएमकेएमवाई), जो किसानों के लिए पेंशन योजनाएं प्रदान करती है, उसने किसानों की आय को बढ़ाने और उनकी सामाजिक सुरक्षा सुरक्षा को बढ़ाने में सफलतापूर्वक योगदान दिया है। पीएम-किसान के तहत 11 करोड़ से अधिक किसान लाभान्वित हुए हैं और 31 अक्टूबर 2024 तक 23.61 लाख किसान पीएमकेएमवाई के तहत नामांकित हो चुके हैं। इन प्रयासों के अलावा, ओएनओआरसी पहल के तहत ई-केवाईसी अनुपालन और ई-एनडब्ल्यूआर वित्तपोषण के लिए ऋण गारंटी योजनाओं जैसे सुधार कृषि क्षेत्र में ऐतिहासिक रूप से व्याप्त प्रणालीगत अक्षमताओं को व्यक्त करते हैं।
खाद्य प्रबंधन व खाद्य सुरक्षा को सक्षम बनानाः
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) और लक्षित पीडीएस (टीपीडीएस), राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) 2013 और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के माध्यम से घरेलू खाद्य सुरक्षा से लंबे समय से निपटा है, जिसने खाद्य सुरक्षा के दृष्टिकोण में एक मौलिक बदलाव को चिह्नित किया है। एनएफएसए अधिनियम कानूनी रूप से ग्रामीण आबादी के 75 प्रतिशत और शहरी आबादी के 50 प्रतिशत तक को लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत मुफ्त में खाद्यान्न प्राप्त करने का अधिकार देता है, जो 2011 की जनगणना के अनुसार 81.35 करोड़ लोगों के बराबर है। इसलिए, लगभग दो-तिहाई आबादी अत्यधिक सब्सिडी वाले खाद्यान्न प्राप्त करने के लिए अधिनियम के तहत आती है। पीएमजीकेएवाई के तहत मुफ्त खाद्यान्न का आवंटन नियमित आवंटन के अतिरिक्त है।
संशोधित ब्याज छूट योजनाः
वित्तीय वर्ष 25 से संशोधित ब्याज छूट योजना (एमआईएसएस) के तहत दावा प्रसंस्करण को किसान ऋण पोर्टल (केआरपी) के माध्यम से डिजिटल कर दिया गया है, ताकि एमआईएसएस दावों को तेज़ी से और अधिक कुशल तरीके से कैप्चर और सेटल किया जा सके। 31 दिसंबर 2024 तक 1 लाख करोड़ से अधिक दावों का प्रसंस्करण किया जा चुका है। एमआईएसएस-केसीसी योजना के तहत वर्तमान में लाभान्वित होने वाले लगभग 5.9 करोड़ किसानों को केआरपी के माध्यम से मैप किया गया है। छोटे और सीमांत किसानों को और अधिक सहायता प्रदान करने के लिए, बैंकों को अपने समायोजित शुद्ध बैंक ऋण (एएनबीसी) या ऑफ-बैलेंस शीट एक्सपोजर (सीईओबीई) के बराबर ऋण राशि का 40 प्रतिशत, जो भी अधिक हो, कृषि सहित प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को आवंटित करना चाहिए। उपरोक्त सभी उपायों ने गैर-संस्थागत ऋण स्रोतों पर निर्भरता को 1950 के 90 प्रतिशत से घटाकर वित्त वर्ष 22 में लगभग 25.0 प्रतिशत कर दिया है।
कृषि के लिए जमीनी स्तर पर ऋणः
कृषि के लिए जमीनी स्तर पर ऋण (जीएलसी) ने भी 2014-15 से 2024-25 तक 12.98 प्रतिशत की सीएजीआर के साथ प्रभावशाली वृद्धि दिखाई है। जीएलसी 2014-15 में ₹8.45 लाख करोड़ से बढ़कर 2023-24 में ₹25.48 लाख करोड़ हो गया है। इसमें छोटे और सीमांत किसानों की हिस्सेदारी 2014-15 से 2023-24 तक ₹3.46 लाख करोड़ (41 प्रतिशत) से बढ़कर ₹14.39 लाख करोड़ (57 प्रतिशत) हो गई है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनाः
वित्तीय वर्ष 2020-21 में राज्य सरकारों और बीमा कंपनियों की भागीदारी 20 और 11 से बढ़कर वित्त वर्ष 2025 में क्रमशः 24 और 15 हो गई है। इसके अतिरिक्त इन हस्तक्षेपों ने पिछले वर्षों की तुलना में प्रीमियम दरों में 32 प्रतिशत की कमी लाने में योगदान दिया है। परिणामस्वरूप, वित्त वर्ष 2024 की अवधि में नामांकित किसानों की संख्या 4 करोड़ तक पहुंच गई, जो वित्त वर्ष 23 की अवधि में 3.17 करोड़ से 26 प्रतिशत की वृद्धि है। वित्त वर्ष 24 में बीमित क्षेत्र भी बढ़कर 600 लाख हेक्टेयर हो गया, जो वित्त वर्ष 23 में 500 लाख हेक्टेयर से 19 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
पीएम-किसान और प्रधानमंत्री किसान मानधन योजनाः
पीएम-किसान जैसी सरकारी पहल, जो किसानों को प्रत्यक्ष आय में सहायता प्रदान करती है और प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना (पीएमकेएमवाई), जो किसानों के लिए पेंशन योजनाएं प्रदान करती है, उसने किसानों की आय को बढ़ाने और उनकी सामाजिक सुरक्षा सुरक्षा को बढ़ाने में सफलतापूर्वक योगदान दिया है। पीएम-किसान के तहत 11 करोड़ से अधिक किसान लाभान्वित हुए हैं और 31 अक्टूबर 2024 तक 23.61 लाख किसान पीएमकेएमवाई के तहत नामांकित हो चुके हैं। इन प्रयासों के अलावा, ओएनओआरसी पहल के तहत ई-केवाईसी अनुपालन और ई-एनडब्ल्यूआर वित्तपोषण के लिए ऋण गारंटी योजनाओं जैसे सुधार कृषि क्षेत्र में ऐतिहासिक रूप से व्याप्त प्रणालीगत अक्षमताओं को व्यक्त करते हैं।
खाद्य प्रबंधन व खाद्य सुरक्षा को सक्षम बनानाः
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) और लक्षित पीडीएस (टीपीडीएस), राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) 2013 और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के माध्यम से घरेलू खाद्य सुरक्षा से लंबे समय से निपटा है, जिसने खाद्य सुरक्षा के दृष्टिकोण में एक मौलिक बदलाव को चिह्नित किया है। एनएफएसए अधिनियम कानूनी रूप से ग्रामीण आबादी के 75 प्रतिशत और शहरी आबादी के 50 प्रतिशत तक को लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत मुफ्त में खाद्यान्न प्राप्त करने का अधिकार देता है, जो 2011 की जनगणना के अनुसार 81.35 करोड़ लोगों के बराबर है। इसलिए, लगभग दो-तिहाई आबादी अत्यधिक सब्सिडी वाले खाद्यान्न प्राप्त करने के लिए अधिनियम के तहत आती है। पीएमजीकेएवाई के तहत मुफ्त खाद्यान्न का आवंटन नियमित आवंटन के अतिरिक्त है।