एसी कोच में स्वच्छ और उच्च गुणवत्ता के बेडरोल करवाये जा रहे उपलब्ध : उत्तर रेलवे
Nov 30, 2024, 19:43 IST
नई दिल्ली, 30 नवंबर उत्तर रेलवे यात्रियों को स्वच्छ और उच्च गुणवत्ता के चादर, तकिये और कम्बल उपलब्ध करा रहा है। इसके लिए उत्तर रेलवे पर प्रतिदिन एक लाख से अधिक बेडरोल की मैकेनाइज्ड धुलाई हो रही है। प्रयोग के तौर पर कुछ चुनिंदा ट्रेनों के कम्बलों की अल्ट्रा वायलेट कीटाणुशोधन प्रक्रिया भी शुरू की गई, जिसमें उत्तर रेलवे को 99.7 प्रतिशत सफलता मिली है।
उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (सीपीआरओ) हिमांशु शेखर उपाध्याय ने शनिवार को एक प्रेस वार्ता में कहा कि उत्तर रेलवे पर संचालित होने वाली सभी ट्रेनों में वातानुकूलित श्रेणी के कोचों में साफ, स्वच्छ और उच्च गुणवत्ता वाले बेडरोल प्रदान किये जा रहे हैं। सभी चादरों और तकिया कवर को प्रत्येक उपयोग के बाद मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री में धुलाई और इस्त्री की जाती है ताकि यात्रियों को स्वच्छ बेडरोल देकर उनकी आरामदायक, साफ-सुथरी और सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित की जा सके।
उपाध्याय ने कहा कि पहले कंबलों की धुलाई 3 महीने में एक बार की जाती थी, 2010 में उसे घटा कर 2 महीने में एक बार किया गया। वर्तमान में कंबलों की धुलाई का काम 15 दिन में एक बार किया जाता है। रेलवे द्वारा एसी कोच में प्रत्येक यात्री को 2 चादरें दी जाती है जिसमें से एक सीट पर बिछाने तथा दूसरी कंबल के कवर के रूप में इस्तेमाल के लिए दी जाती है। इसके अतिरिक्त एसी कोच का तापमान भी 24 डिग्री के आसपास रखा जाता है ताकि कंबल की आवश्यकता ही ना पड़े और चादर ही पर्याप्त हो।
उत्तर रेलवे ने प्रयोग के तौर पर रांची राजधानी में उच्च गुणवत्ता वाले बेड रोल देना शुरू किया था। अब उत्तर रेलवे द्वारा संचालित राजधानी, दुरंतो एवं एसी स्पेशल गाड़ियों में उच्च गुणवत्ता वाले बेड रोल दिए जा रहे है। हाल ही में उत्तर रेलवे ने रेलगाड़ी संख्या 12424 नई दिल्ली– डिब्रूगढ़ राजधानी में अल्ट्रा वायलेट कंबल कीटाणुशोधन किया। हर राउंड ट्रिप समाप्त होने पर इस गाड़ी के कम्बलों को अल्ट्रा वायलेट कंबल कीटाणुशोधन के लिए भेजा गया, इसके बाद कम्बल का स्वाब लैब में टेस्टिंग के लिए भेजा गया। इसमें उत्तर रेलवे ने 99.7 प्रतिशत सफलता हासिल की है।
उत्तर रेलवे पर बेडरोल की अनुपलब्धता और गंदे या फटे बेडरोल की शिकायतों में निरंतर कमी आ रही है। इसके साथ ही चादरों और कंबलों को कुछ समय बाद बदला भी जाता है तथा नए लिनेन सेट की खरीद की जाती है। मैकेनाइज्ड लॉन्ड्रियो में भी सफाई के लिए उच्च गुणवत्ता वाले पदार्थो का इस्तेमाल किया जाता है तथा सीसीटीवी एवं स्टाफ द्वारा निरंतर निगरानी रखी जाती है। धुले हुए कपड़ों की गुणवत्ता को चेक करने के लिए व्हाइटोमीटर का इस्तेमाल किया जाता है।
उत्तर रेलवे मुख्यालय एवं मंडल स्तर रेल मदद पर प्राप्त बेड रोल सहित अन्य शिकायतों की निगरानी के लिए वार रूम स्थापित किए गए हैं, जो यात्रियों की शिकायत एवं फीडबैक पर निरंतर 24x7 निगरानी करते हैं। रेलवे यात्रियों के सुरक्षित एवं आरामदायक यात्रा के लिए कटिबद्ध है।
उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (सीपीआरओ) हिमांशु शेखर उपाध्याय ने शनिवार को एक प्रेस वार्ता में कहा कि उत्तर रेलवे पर संचालित होने वाली सभी ट्रेनों में वातानुकूलित श्रेणी के कोचों में साफ, स्वच्छ और उच्च गुणवत्ता वाले बेडरोल प्रदान किये जा रहे हैं। सभी चादरों और तकिया कवर को प्रत्येक उपयोग के बाद मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री में धुलाई और इस्त्री की जाती है ताकि यात्रियों को स्वच्छ बेडरोल देकर उनकी आरामदायक, साफ-सुथरी और सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित की जा सके।
उपाध्याय ने कहा कि पहले कंबलों की धुलाई 3 महीने में एक बार की जाती थी, 2010 में उसे घटा कर 2 महीने में एक बार किया गया। वर्तमान में कंबलों की धुलाई का काम 15 दिन में एक बार किया जाता है। रेलवे द्वारा एसी कोच में प्रत्येक यात्री को 2 चादरें दी जाती है जिसमें से एक सीट पर बिछाने तथा दूसरी कंबल के कवर के रूप में इस्तेमाल के लिए दी जाती है। इसके अतिरिक्त एसी कोच का तापमान भी 24 डिग्री के आसपास रखा जाता है ताकि कंबल की आवश्यकता ही ना पड़े और चादर ही पर्याप्त हो।
उत्तर रेलवे ने प्रयोग के तौर पर रांची राजधानी में उच्च गुणवत्ता वाले बेड रोल देना शुरू किया था। अब उत्तर रेलवे द्वारा संचालित राजधानी, दुरंतो एवं एसी स्पेशल गाड़ियों में उच्च गुणवत्ता वाले बेड रोल दिए जा रहे है। हाल ही में उत्तर रेलवे ने रेलगाड़ी संख्या 12424 नई दिल्ली– डिब्रूगढ़ राजधानी में अल्ट्रा वायलेट कंबल कीटाणुशोधन किया। हर राउंड ट्रिप समाप्त होने पर इस गाड़ी के कम्बलों को अल्ट्रा वायलेट कंबल कीटाणुशोधन के लिए भेजा गया, इसके बाद कम्बल का स्वाब लैब में टेस्टिंग के लिए भेजा गया। इसमें उत्तर रेलवे ने 99.7 प्रतिशत सफलता हासिल की है।
उत्तर रेलवे पर बेडरोल की अनुपलब्धता और गंदे या फटे बेडरोल की शिकायतों में निरंतर कमी आ रही है। इसके साथ ही चादरों और कंबलों को कुछ समय बाद बदला भी जाता है तथा नए लिनेन सेट की खरीद की जाती है। मैकेनाइज्ड लॉन्ड्रियो में भी सफाई के लिए उच्च गुणवत्ता वाले पदार्थो का इस्तेमाल किया जाता है तथा सीसीटीवी एवं स्टाफ द्वारा निरंतर निगरानी रखी जाती है। धुले हुए कपड़ों की गुणवत्ता को चेक करने के लिए व्हाइटोमीटर का इस्तेमाल किया जाता है।
उत्तर रेलवे मुख्यालय एवं मंडल स्तर रेल मदद पर प्राप्त बेड रोल सहित अन्य शिकायतों की निगरानी के लिए वार रूम स्थापित किए गए हैं, जो यात्रियों की शिकायत एवं फीडबैक पर निरंतर 24x7 निगरानी करते हैं। रेलवे यात्रियों के सुरक्षित एवं आरामदायक यात्रा के लिए कटिबद्ध है।