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पीएम मोदी पर बनी डॉक्यूमेंट्री के ट्वीट शेयरिंग पर रोक, केंद्र ने दिया आदेश

 
पीएम मोदी पर बनी डॉक्यूमेंट्री के ट्वीट शेयरिंग पर रोक, केंद्र ने दिया आदेश

नई दिल्ली, 21 जनवरी। केंद्र की मोदी सरकार ने बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री इंडिया- मोदी क्वेश्चन का लिंक साझा करने वाले कई यूट्यूब वीडियो और ट्विटर पोस्ट को ब्लॉक करने के निर्देश जारी किए हैं। सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सचिव अपूर्व चंद्रा ने आईटी नियम, 2021 के तहत आपातकालीन शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए शुक्रवार को निर्देश जारी किए। यूट्यूब और ट्विटर दोनों ने निर्देशों का पालन किया है। मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से ये जानकारी दी गई। वहीं मंत्रालय के अनुसार बीबीसी ने इसे भारत में उपलब्ध नहीं कराया। कुछ यूट्यूब चैनल ने इसे अपलोड किया। ऐसा लगात है कि भारत विरोधी एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए इसे अपलोड किया गया है।

आईटी नियम 2021 के नियम 16 औपचारिक रूप से सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के रूप में जाना जाता है। 25 फरवरी, 2021 को अधिसूचित ये एक्ट आपातकाल के मामले में सूचना को अवरुद्ध करने के संबंध में सरकार की शक्ति देता है। प्रमुख तौर पर आईटी नियम (2021) सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को अपने प्लेटफॉर्म पर सामग्री के संबंध में अधिक सक्रिय रहने के लिये बाध्य करता है।  ऐसी सामग्री की शिकायतों की प्राप्ति के 24 घंटे के भीतर इसे हटाएंगे या अक्षम करेंगे जो व्यक्तियों की निजता को उजागर करती हैं, ऐसे व्यक्तियों को पूर्ण या आंशिक नग्नता या यौन क्रिया में दिखाती हैं या प्रतिरूपण की प्रकृति में हैं, जिसमें मॉर्फ्ड इमे आदि शामिल हैं। इस तरह के आदेश राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था सहित कुछ निर्दिष्ट आधारों पर पारित किए जा सकते हैं।

सरकार का डॉक्यूमेंट्री पर क्या है कहना

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बीबीसी डॉक्यूमेंट्री पर संवाददाताओं के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि यह एक 'गलत आख्यानÓ को आगे बढ़ाने के लिए दुष्प्रचार का एक हिस्सा है। बागची ने कहा, ''यह हमें इस कवायद के उद्देश्य और इसके पीछे के एजेंडा के बारे में सोचने पर मजबूर करता हैं।  प्रवक्ता ने कहा, मुझे यह बात स्पष्ट करने दें... हमारा मानना है कि यह दुष्प्रचार का एक हिस्सा है जो एक 'गलत आख्यानÓ विशेष को आगे बढ़ाने का प्रयास है। इसमें पूर्वाग्रह, निष्पक्षता की कमी और औपनिवेशिक मानसिकता स्पष्ट रूप से झलकती है।  विदेश मंत्रालय, गृह और सूचना एवं प्रसारण सहित मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों ने डॉक्यूमेंट्री की जांच की और पाया कि यह भारत के सर्वोच्च न्यायालय के अधिकार और विश्वसनीयता पर आक्षेप लगाने, विभिन्न भारतीय समुदायों के बीच विभाजन बोने और बनाने का प्रयास है। और इसमें विदेशी सरकार के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों के साथ-साथ देश के भीतर सार्वजनिक व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डालने की क्षमता है।

17 जनवरी को टेलिकास्ट हुआ था पहला एपिसोड

बीबीसी ने 'इंडिया- मोदी क्वेश्चनÓ शीर्षक से दो भाग में एक नई श्रृंखला बनाई है और यह श्रृंखला गुजरात में 2002 में हुए दंगों के विभिन्न पहलुओं की पड़ताल करती है। गुजरात दंगे के दौरान नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे।  17 जनवरी को ' मोदी क्वेश्चनÓ डॉक्यूमेंट्री का पहला एपिसोड यूट्यूब पर रिलीज किया था। दूसरा एपिसोड 24 जनवरी को रिलीज होना था।

ब्रिटिश पीएम ने भी किया विरोध

उधर, बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर ब्रिटिश संसद में चर्चा हुई थी। पाकिस्तानी मूल के सांसद इमरान हुसैन ने कहा- गुजरात दंगों के लिए सीधेतौर पर नरेंद्र मोदी जिम्मेदार थे। अब भी दंगा पीडि़तों को इंसाफ नहीं मिला। उन्होंने ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक से सवाल किया- दंगे में मोदी की भूमिका पर आपका क्या कहना है? इस पर सुनक ने कहा था- डॉक्यूमेंट्री में जिस तरह से प्रधानमंत्री मोदी को दिखाया गया है, मैं उससे कतई सहमत नहीं हूं। उन्होंने कहा- ब्रिटेन सरकार की स्थिति स्पष्ट है। हम दुनिया के किसी भी हिस्से में होने वाली हिंसा को बर्दाश्त नहीं करते, लेकिन डॉक्यूमेंट्री में मोदी की जो इमेज पेश की गई है, मैं उससे बिल्कुल भी सहमत नहीं हूं। गुजरात में 2002 में हुए दंगों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी का गठन किया था। कमेटी ने दंगों में नरेंद्र मोदी का हाथ नहीं पाया था। एसआईटी ने कहा था कि मोदी के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले। जून 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी की तरफ से मोदी को मिली क्लीन चिट को सही माना था।