कैथल के विधायक आदित्य सुरजेवाला पहुंचे खनोरी बॉर्डर
आमरण अनशन कर रहे जगजीत सिंह डल्लेवाल का हाल-चाल जाना
Dec 30, 2024, 20:17 IST
कैथल, 30 दिसंबर । कैथल के विधायक आदित्य सुरजेवाला खनाेरी बॉर्डर पहुंचे और 35 दिन से आमरण अनशन कर रहे जगजीत सिंह डल्लेवाल से मुलाकात कर उनका हाल-चाल जाना। आदित्य सुरजेवाला ने रविवार देर शाम आंदोलनरत किसानों से भी बातचीत की। उन्होंने डल्लेवाल की तबीयत को लेकर चिंता जाहिर की और सरकार से कहा कि वह किसान नेता की बातों को गंभीरता से लें।
सोमवार को कैथल पहुंचने पर पत्रकारों से बतचीत में सुरजेवाला ने कहा कि 35 दिनों से आमरण अनशन कर रहे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की हालत चिंताजनक है। सरकार तत्काल किसानों से किए अपने वायदे को पूरा करके उनका अनशन खत्म करवाए। सुरजेवाला ने कहा कि बड़े दुर्भाग्य की बात हैं देश का पेट भरने वाला अन्नदाता आज खुद के हकों के लिए भूखा बैठा हैं। न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर सुप्रीम कोर्ट और संसद की समिति ने सिफारिशें की हैं, लेकिन केंद्र सरकार अब तक इस पर गंभीर कदम उठाने में असमर्थ नजर आ रही है। उन्होंने कहा कि यह केवल किसान नेताओं की नहीं, बल्कि पूरे किसान समुदाय की समस्या है। सरकार को चाहिए कि वह न केवल डल्लेवाल जैसे नेताओं की बात सुने, बल्कि किसानों की समस्याओं का जल्द समाधान निकाले। प्रजातंत्र में सभी नागरिकों को शांतिपूर्ण तरीके से कहीं भी आने-जाने या अपनी बात कहने का अधिकार है। किसानों की मांग पूरी तरह जायज और कई साल पुरानी है।
सोमवार को कैथल पहुंचने पर पत्रकारों से बतचीत में सुरजेवाला ने कहा कि 35 दिनों से आमरण अनशन कर रहे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की हालत चिंताजनक है। सरकार तत्काल किसानों से किए अपने वायदे को पूरा करके उनका अनशन खत्म करवाए। सुरजेवाला ने कहा कि बड़े दुर्भाग्य की बात हैं देश का पेट भरने वाला अन्नदाता आज खुद के हकों के लिए भूखा बैठा हैं। न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर सुप्रीम कोर्ट और संसद की समिति ने सिफारिशें की हैं, लेकिन केंद्र सरकार अब तक इस पर गंभीर कदम उठाने में असमर्थ नजर आ रही है। उन्होंने कहा कि यह केवल किसान नेताओं की नहीं, बल्कि पूरे किसान समुदाय की समस्या है। सरकार को चाहिए कि वह न केवल डल्लेवाल जैसे नेताओं की बात सुने, बल्कि किसानों की समस्याओं का जल्द समाधान निकाले। प्रजातंत्र में सभी नागरिकों को शांतिपूर्ण तरीके से कहीं भी आने-जाने या अपनी बात कहने का अधिकार है। किसानों की मांग पूरी तरह जायज और कई साल पुरानी है।