भजन वह है जो गाने व सुनने वाले, दोनों को करे आनंदित : संजय भुटानी

भुटा ने कहा कि इस तरह के बगैर शोर -शराबे एवं दिखावा रहित कार्यक्रमों का ही आउटपुट होता है। आज के वक्त धर्म के नाम पर गली -मोहल्लों में सड़कों को रोककर देर रात तक ऊंची आवाज में किए जाने वाले कार्यक्रमों से कई बार आसपास के लोगों को पीड़ा झेलनी पड़ती है। ऐसे कार्यक्रम धर्म के नाम पर किए जाते हैं लेकिन धर्म का पहला मतलब यही होना चाहिए कि हमारे किसी भी काम से किसी व्यक्ति को दु:ख न पहुंचे।
इस मौके पर प्रसिद्ध संगीतकार विनोद गोल्डी के नेतृत्व, म्यूजिक डायरेक्टर प्रवीण मखीजा के संगीत व भाई हरिंद्र नांगरू के संचालन में भजन संध्या कार्यक्रम में क्षेत्र के प्रमुख कलाकार गीता नेगी, सिमरन, रेखा मनोचा व नमन सैनी ने अपने मधुर भजनों द्वारा समां बांध दिया। गायिका गीता नेगी ने सुन राधिका प्यारी मैं हूं अंधरों भिखारी, पीड़ा इक ही हमारी हमें श्याम न मिला, भावपूर्ण भजन प्रस्तुत किया तो श्रोता भाव - विभोर हो गए। सिमरन ने साधो ऐसा ही गुरु भावे, रेखा मनोचा ने मन लागो मेरा राम फकीरी में और नमन सैनी ने पायो जी मैंने राम रतन धन पायो भजनों की शानदार प्रस्तुति दी।
इस मौके पर डॉ. ज्योति अहलावत,रमेश गर्ग, कमलेश गर्ग, संजय सिंगला, ऊषा गोल्डी, प्रथम, कविता वर्मा, अजय हिंदुस्तानी, अरुण आर्य, अनंता सैनी, सीता राम, सत्यनारायण सैनी, पवन सैनी, निर्मल,कुलवंत आदि मौजूद थे।