चिराग योजना के नाम पर स्कूलों को ताले लगाना चाहती है सरकार: सलाह
Jan 12, 2023, 12:45 IST
सिरसा, 12 जनवरी। स्कूल कैडर लेक्चरर एसोसिएशन हरियाणा के राज्य प्रधान गुरदीप सैनी, प्राध्यापक नेता शमशेर शर्मा, जिला प्रधान भूप सिंह सिहाग व जिला प्रवक्ता शालू भारद्वाज ने संयुक्त बयान में कहा कि सरकार चिराग योजना की आड़ में सरकारी स्कूलों को बंद करने पर तुली है।
इसके तहत वही विद्यार्थी चिराग योजना के तहत मान्यता प्राप्त स्कूलों में दाखिला ले सकेंगे, जिन्होंने गत वर्ष की परीक्षा सरकारी विद्यालयों से पास की है। इससे जहां सरकारी तौर पर विद्यार्थियों की संख्या घटेगी, जबकि मर्ज करने के नाम पर सरकार पहले ही सैंकड़ों स्कूलों को बंद कर चुकी है। उन्होंने कहा कि चिराग योजना सरकारी स्कूलों पर तालाबंदी की नई योजना है।
उन्होंने कहा कि चिराग ग्रामीणों व ग्राम पंचायतों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली योजना है, जिन्होंने सरकारी स्कूल बनवाने के लिए अपनी भूमि दान में दी हुई है। सरकार ऐसे कार्य करे, जिससे छात्र संख्या घटने की बजाय बढ़े। इसके साथ-साथ सरकार अध्यापक वर्ग से गैर शैक्षिक कार्य करवाकर शिक्षा को कमजोर करना चाहती है। उन्होंने दोहराया कि सरकार अब तो चिराग योजना का हवाला देकर दाखिले करवा रही है, लेकिन नियम 134ए के तहत यही हुआ था। क्योंकि सरकार ने बच्चों को स्कूल तो अलॉट करवा दिए, लेकिन उनकी फीस स्कूलों को अदा नहीं की, जिस कारण बच्चों की पढ़ाई खासा प्रभावित हुई थी।
इसके तहत वही विद्यार्थी चिराग योजना के तहत मान्यता प्राप्त स्कूलों में दाखिला ले सकेंगे, जिन्होंने गत वर्ष की परीक्षा सरकारी विद्यालयों से पास की है। इससे जहां सरकारी तौर पर विद्यार्थियों की संख्या घटेगी, जबकि मर्ज करने के नाम पर सरकार पहले ही सैंकड़ों स्कूलों को बंद कर चुकी है। उन्होंने कहा कि चिराग योजना सरकारी स्कूलों पर तालाबंदी की नई योजना है।
उन्होंने कहा कि चिराग ग्रामीणों व ग्राम पंचायतों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली योजना है, जिन्होंने सरकारी स्कूल बनवाने के लिए अपनी भूमि दान में दी हुई है। सरकार ऐसे कार्य करे, जिससे छात्र संख्या घटने की बजाय बढ़े। इसके साथ-साथ सरकार अध्यापक वर्ग से गैर शैक्षिक कार्य करवाकर शिक्षा को कमजोर करना चाहती है। उन्होंने दोहराया कि सरकार अब तो चिराग योजना का हवाला देकर दाखिले करवा रही है, लेकिन नियम 134ए के तहत यही हुआ था। क्योंकि सरकार ने बच्चों को स्कूल तो अलॉट करवा दिए, लेकिन उनकी फीस स्कूलों को अदा नहीं की, जिस कारण बच्चों की पढ़ाई खासा प्रभावित हुई थी।